दलाई लामा का ‘अवतार’ अमेरिका-चीन के बीच बना विवाद का मुद्दा

Edited By Tanuja,Updated: 27 Feb, 2021 02:19 PM

us and china are fighting over dalai lama s reincarnation plans

दलाई लामा के ‘अवतार’ को लेकर  एक बार फिर अमेरिका-चीन आमने सामने हैं औऱ यह दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा बन  गया है। तिब्बत के समर्थन में चीन पर  दबाव के  लिए अमेरिकी संसद ने एक विधेयक पारित किया है।  तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम...

इंटरनेशनल डेस्कः दलाई लामा के ‘अवतार’ को लेकर  एक बार फिर अमेरिका-चीन आमने सामने हैं औऱ यह दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा बन  गया है। तिब्बत के समर्थन में चीन पर  दबाव के  लिए अमेरिकी संसद ने एक विधेयक पारित किया है।  तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम (टीपीएसए) को अमेरिकी संसद के दोनों सदनों ने 1.4 ट्रिलियन डॉलर के सरकारी खर्च विधेयक और 900 अरब डॉलर के कोविड-19 राहत पैकेज के संशोधन के तौर पर पास किया है।  ये अधिनियम चीन के उन अधिकारियों पर आर्थिक और वीज़ा प्रतिबंध लगाएगा जो दलाई लामा के उत्तराधिकार के मामले में हस्तक्षेप करेंगे।  साथ ही इस अधिनियम के तहत चीन के लिए ज़रूरी होगा कि वो अमेरिका में कोई भी नया कोंसुलेट खोलने से पहले ल्हासा में अमेरिका को कोंसुलेट स्थापित करने की मंज़ूरी दे।  

 

अमेरिका के इस क़दम से जहां चीन तिलमिला रहा है वहीं धर्मशाला आधारित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन बेहद ख़ुश है । राष्ट्रपति लोबसांग सांगे ने इसे “तिब्बत के लोगों के लिए ऐतिहासिक घटना” घोषित किया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले और अमेरिकी नागरिक सांगे को हाल में व्हाइट हाउस में न्योता दिया गया जहां उन्होंने तिब्बती मामलों पर नये-नवेले नियुक्त अमेरिका के विशेष संयोजक रॉबर्ट डेस्ट्रो से मुलाक़ात की।  चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के साथ तिब्बत नए शीत युद्ध की राजनीति के मुद्दे के तौर पर फिर से उभर रहा है। हाल के वर्षों में भारत ने तिब्बत का कार्ड खेलने की कोशिश की लेकिन उसे इसका असरदार इस्तेमाल करने का तरीका नहीं आता, लेकिन अमेरिका इन दोनों से हटकर थोड़ा अलग है और ये बात चीन और तिब्बत दोनों जानते हैं। 

 


आधुनिक राजनीति में लामा के अवतार जैसे मुद्दों पर चिंतित होना जरूरी है क्योंकि दलाई लामा एक अलग तरह की शख़्सियत हैं।  जब से उन्होंने चीन से भागकर भारत में पनाह ली तब से वो चीन के दमन के खिलाफ तिब्बती संघर्ष के प्रतीक बन गए हैं।   उनका व्यक्तित्व और संदेश पूरी दुनिया में गूंजता है और चीन की तरफ़ से जोरदार कोशिश के बावजूद उन्हें अभी भी पूरी दुनिया में सम्मान मिलता है और उनको मानने वाले उनसे काफ़ी प्यार करते हैं। दलाई लामा खुद अहिंसक तरीक़े से तिब्बती संघर्ष को जारी रखने की जरूरत को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण रखते हैं। उन्होंने बार-बार साफ़ किया है कि वो चीन से स्वतंत्रता की जगह ज़्यादा स्वायत्तता चाहते हैं लेकिन चीन को इस पर भरोसा नहीं हैं और वो उन्हें “बांटने वाला” बताता है।

 
हिंदुओं की तरह तिब्बती बौद्ध भी विश्वास करते हैं कि हर व्यक्ति पुनर्जन्म के चक्र से गुज़रता है जिसका निर्धारण  कर्मों से होता है। लेकिन बड़े लामा या तुल्कू, जिनमें बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के अवतार दलाई लामा सबसे वरिष्ठ हैं, ये तय कर सकते हैं कि उनका पुनर्जन्म कब और कहां होगा। आमतौर पर बड़े लामा अपने अवतार के बारे में विस्तृत जानकारी कुछ चुनिंदा सहायकों को गुप्त रूप से बताते हैं जिसके बाद वो सहायक उनकी तलाश करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ मौजूदा दलाई लामा ने इस मुद्दे के बारे में बहुत विचार किया। वो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया को राजनीति के द्वारा अपने काबू में किया जा सकता है।

 

एक तरफ़ उन्होंने ऐसा कहा है कि- क्या उन्हें पुनर्जन्म लेना ही नहीं चाहिए। दूसरी तरफ़ उन्होंने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने में भी दिलचस्पी दिखाई है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इस प्रक्रिया में “संदेह या धोखे की ज़रा भी गुंजाइश न हो”। इसका मक़सद चीन है जो क़रीब-क़रीब निश्चित तौर पर मौजूदा दलाई लामा के गुज़रने के बाद अपने हिसाब से उत्तराधिकारी को चुनेगा। दलाई लामा  पर चीन का “कब्ज़ा” होने से इस पद की प्रतिष्ठा गिरेगी। जबकि चीन मानता है कि किसी बड़े लामा को नियुक्त करने के मामले में आख़िरी अधिकार उसके पास है और इसकी मंज़ूरी इतिहास और परंपरा देती है। 2007 में चीन के धार्मिक मामलों के प्रशासन ने फ़ैसला दिया था कि पुनर्जन्म को निश्चित रूप से सरकार से मंज़ूरी मिली होनी चाहिए नहीं तो उसे अवैध घोषित कर दिया जाएगा। 

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!