हिंद महासागर में निकलेगी चीन की हेकड़ी, भारत को मिलेगा दुनिया का सबसे ताकतवर ड्रोन

Edited By Tanuja,Updated: 08 Feb, 2023 01:46 PM

us officials visit indian navy base operating leased predator drones

भारत को एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता  के तहत अमेरिका से 18 सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू 9ए (MQ 9A) मिलने जा रहे हैं।  प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन...

लॉस एंजलिस:  भारत को एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता  के तहत अमेरिका से 18 सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू 9ए (MQ 9A) मिलने जा रहे हैं।  प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन 24 घंटे तक 50,000 फीट तक उड़ सकता है। यह हेलफायर हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से लैस है, जो दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकता है.अमेरिका के   MQ 9A ड्रोन को दुनिया का सबसे शक्तिशाली ड्रोन करार दिया गया  है। इसके आने से हिंद महासागर में  भारत की ताकत बढ़ेगी और चीन की गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।

 

इसी क्रम  में अमेरिकी अधिकारियों ने रक्षा सहयोग के निर्माण में भारत के साथ अपने तालमेल को प्रतिबिंबित करते हुए भारतीय नौसेना के एक प्रमुख अड्डे का दौरा किया, जहां पट्टे पर लिए गए अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन का संचालन किया जाता है। ‘जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स' (GA-ASI )  द्वारा जारी  प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस दौरान अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को भारतीय नौसेना द्वारा दूर से संचालित विमान, उसके विभिन्न सेंसर की क्षमताओं, भारतीय नौसेना की निगरानी में उसके योगदान, रखरखाव आदि के बारे में बताया गया।

 

‘जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक लाल ने एक बयान में कहा, ‘‘ भारतीय नौसेना अड्डे में एमक्यू-9 संचालन देखने के लिए भारत में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों की यात्रा, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति स्थापित करने और उसे कायम रखने के लिए विश्वसनीय रक्षा सहयोग को लेकर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ तालमेल को प्रतिबिंबित करती है।'' भारत ने जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स (जीए-एएसआई) द्वारा निर्मित एमक्यू-9 रिमोटली पाइलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (आरपीएएस) को दो साल से अधिक समय के लिए पट्टे पर लिया है।

 

नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में वाणिज्य अताशे राघवन श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘ भारतीय नौसेना ओर जीए-एएसआई के बीच सहयोग देखकर हम वास्तव में खुश हैं। एमक्यू-9 एक सिद्ध आईएसआर मंच है और भारतीय नौसेना ने इसे अपनी पूरी क्षमता के साथ तैनात किया है।'' प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जीए-एएसआई दुनिया के सबसे उन्नत आरपीएएस का निर्माण करता है, जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और उसे परस्पर जुड़े नियंत्रण स्टेशन और परिचालन केंद्रों की एक जटिल प्रणाली द्वारा संचालित किए जाते हैं।  

 

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय नौसेना ने अमेरिका से पहले ही समुद्र में निगरानी के लिए जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित दो सी गार्जियन (MQ 9B) ड्रोन लीज पर ले रखे हैं। अब 18 सशस्त्र ड्रोन अधिग्रहण के बाद अप्रैल में कारवार नौसेना बेस में ज्वाइंट कमांडर कॉन्फ्रेंस में रखे जाएंगे, जिसमें तीनों सेनाओं को 6-6 ड्रोन दिए जाएंगे।   नौसेना ने पहले 30 ड्रोन की जरूरत बताई थी, जिसके लिए 3 अरब डॉलर की लागत का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी ने समीक्षा के बाद इसकी संख्या को घटाकर 18 कर दिया था।  बता दें कि भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान, दोनों के पास सशस्त्र ड्रोन हैं, ऐसे में भारतीय सेना को सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है। भारत ने गुजरात में एक ज्वाइंट वेंचर के तहत इजराइल की मदद से टोही और निगरानी ड्रोन (MALE) बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। 

 

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