Edited By Yaspal,Updated: 26 Dec, 2022 07:35 PM
कुछ गैर-भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने सोमवार को कहा कि बिना योगदान वाली या पुरानी पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ी पर ‘कर' हैं
नई दिल्लीः कुछ गैर-भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने सोमवार को कहा कि बिना योगदान वाली या पुरानी पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ी पर ‘कर' हैं। यानी इनका बोझ भावी पीढ़ी पर पड़ेगा। सान्याल ने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा तनाव और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को बार-बार कम करने के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि 2023 एक मुश्किल साल होने वाला है।
सान्याल ने कहा, ‘‘यह बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए कि गैर योगदान वाली पेंशन योजनाएं अंतत: भावी पीढ़ियों पर कर का बोझ डालेंगी। बीते कुछ दशकों में बहुत ही कठिनाई के साथ जो पेंशन सुधार किए गए हैं उनसे हटकर कदम उठाते वक्त बहुत ही ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।'' ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी। इस योजना को तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपनी पेंशन में मूल वेतन का दस प्रतिशत योगदान देते हैं जबकि राज्य सरकार का योगदान 14 प्रतिशत होता है।
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ओपीएस लागू करने का निर्णय ले चुके हैं, झारखंड ने भी पुरानी पेंशन योजना को अपनाने का फैसला किया है। वहीं आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने भी ओपीएस को फिर से लागू करने की हाल में मंजूरी दी है। चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए, इस सवाल के जवाब में सान्याल ने कहा, ‘‘किसी भी एक देश पर निर्भरता परेशानी का सबब होती है और इस बात को हमें गंभीरता से लेना चाहिए। प्रयास किए जा रहे हैं कि दवाओं के अहम घटक या विनिर्माण के लिए चिप समेत जरूरी वस्तुएं मंगवाने के लिए केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहा जाए।''
संजीव सान्याल ने कहा कि यही वजह है कि हमारे उद्योगों के लिए जो अहम घटक या कलपुर्जे हैं उनका विनिर्माण कुछ हद तक देश में ही हो सके इसलिए सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना समेत अन्य प्रयासों पर विशेष बल दे रही है। गौरतलब है कि सरकार ने 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की है। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना, निर्यात को बढ़ावा देना और रोजगार सृजन करना है। सान्याल ने कहा, ‘‘भारत की आर्थिक वृद्धि में जुझारूपन रहेगा। अभी यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और ज्यादातर संकेतक बताते हैं कि 2023-24 में भी यह रफ्तार कायम रहेगी।'' हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को कोविड-19 का प्रकोप फिर शुरू होने की आशंका के मद्देनजर सतर्क रहना होगा।