Edited By Radhika,Updated: 18 Dec, 2025 02:25 PM

बेहतर भविष्य और शानदार अवसरों की तलाश में लोग अक्सर अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में चले जाते हैं। अपने देश की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बसने का सबसे ज्यादा रुझान भारतीयों में दिखा है। हालांकि ये निर्णय लेना आसान नहीं होता। हाल ही में संसद...
नेशनल डेस्क: बेहतर भविष्य और शानदार अवसरों की तलाश में लोग अक्सर अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में चले जाते हैं। अपने देश की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बसने का सबसे ज्यादा रुझान भारतीयों में दिखा है। हालांकि ये निर्णय लेना आसान नहीं होता। हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए गए आधिकारिक डेटा के अनुसार पिछले 5 सालों में लगभग 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। साल 2022 के बाद से यह आंकड़ा प्रति वर्ष 2 लाख के पार पहुँच गया है, जो नीति-निर्माताओं के लिए चिंता का विषय है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
कोविड के बाद बढ़ा ग्राफ- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2011 से 2024 के बीच कुल 20.6 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। दिलचस्प बात यह है कि इस कुल संख्या का लगभग आधा हिस्सा सिर्फ पिछले 5 सालों में दर्ज किया गया है। 2011 से 2019 के बीच यह संख्या प्रति वर्ष 1.2 से 1.4 लाख के बीच स्थिर थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद खासकर 2022 में इसमें अचानक बड़ी तेजी आई। विदेश मंत्रालय के अनुसार नागरिकता छोड़ने के पीछे व्यक्तिगत कारण, global scope की उपलब्धता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत सुविधा जैसे कारक मुख्य हैं।

ब्रेन ड्रेन की 'चौथी लहर' और अमीरों का पलायन
विशेषज्ञ इस रुझान को 1970 के दशक से शुरू हुए 'ब्रेन ड्रेन' का चरम मान रहे हैं। PMO के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने इसे 'Secession of the Successful' (सफल लोगों का अलगाव) का नाम दिया है। उनके अनुसार अब न केवल मजदूर या मध्यम वर्गीय पेशेवर बल्कि हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) और अमीर वर्ग भी देश छोड़ रहे हैं। मॉर्गन स्टैनली के आंकड़े बताते हैं कि 2014 के बाद से करीब 23,000 भारतीय करोड़पति देश छोड़ चुके हैं। इसके पीछे खराब एयर क्वालिटी, ट्रैफिक, कमजोर बुनियादी ढांचा और विदेशों में मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा प्रमुख कारण हैं।

ये भी हो सकती है भारत से पलायन की वजह
भारत से पलायन की एक कानूनी वजह Dual Citizenship का न होना भी है। नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत, यदि कोई भारतीय किसी दूसरे देश का पासपोर्ट लेता है, तो उसे अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। हालांकि भारत OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) कार्ड प्रदान करता है, लेकिन इसमें वोट देने या संवैधानिक पदों पर बैठने का अधिकार नहीं होता। इसी राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा को पाने के लिए लोग विकसित देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता चुन रहे हैं।