रबर से बने प्लेन के पहिये से लैंडिंग के वक्त क्यों निकलती है चिंगारी? जानिए क्या सच में होता है कोई खतरा

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Jun, 2025 11:41 AM

why do rubber wheels of planes emit sparks during landing

अहमदाबाद एयरपोर्ट के नज़दीक हाल ही में हुए भयावह प्लेन क्रैश के बाद से लोगों के मन में हवाई सफर को लेकर डर का माहौल है। कई यात्री एयर इंडिया से यात्रा न करने की बात कह रहे हैं तो वहीं कुछ लोग प्लेन के टेकऑफ के बाद ही घबराहट महसूस करने लगे हैं। इस...

नेशनल डेस्क। अहमदाबाद एयरपोर्ट के नज़दीक हाल ही में हुए भयावह प्लेन क्रैश के बाद से लोगों के मन में हवाई सफर को लेकर डर का माहौल है। कई यात्री एयर इंडिया से यात्रा न करने की बात कह रहे हैं तो वहीं कुछ लोग प्लेन के टेकऑफ के बाद ही घबराहट महसूस करने लगे हैं। इस बीच कुछ विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग की खबरों ने भी इस चिंता को और बढ़ा दिया है क्योंकि हवा में ऐसी कोई भी अप्रत्याशित घटना सैकड़ों लोगों की जान हलक में ला देती है।

लखनऊ में रनवे पर चिंगारी छोड़ते पहिए

लखनऊ एयरपोर्ट पर भी ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला वाकया सामने आया जब रनवे पर एक विमान के पहियों से चिंगारी निकलने लगी। इस सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट में लगभग 250 लोग सवार थे। प्लेन के टायर से धुआं और चिंगारी निकलने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है जिसने एक बार फिर लोगों की बेचैनी बढ़ा दी है।

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क्यों निकलती है चिंगारी? 

आमतौर पर ऐसी घटना तब होती है जब विमान की लैंडिंग के दौरान फिसलने का डर हो। एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक रनवे पर पानी या फिसलन होने की स्थिति में हार्ड लैंडिंग करवाई जाती है। इसमें टायरों को जानबूझकर ब्रेक लगाकर रोका जाता है जिससे अत्यधिक घर्षण पैदा होता है। इसी घर्षण के कारण चिंगारी भी निकल सकती है।

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कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि प्लेन के टायर जब रबर के होते हैं तो उनसे चिंगारी कैसे निकल सकती है? दरअसल प्लेन के टायर सामान्य गाड़ियों के टायरों से काफी अलग होते हैं। इनमें सिर्फ रबर नहीं होता बल्कि एल्युमिनियम और स्टील जैसी धातुएं भी मिक्स होती हैं। इन सभी की कई मजबूत परतें टायरों पर चढ़ी होती हैं।

प्लेन के टायरों की खासियत

उच्च दबाव: प्लेन के टायर का प्रेशर किसी भी कार के टायर से कई गुना ज़्यादा होता है।

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टिकाऊपन: आमतौर पर एक प्लेन का टायर लगभग 400 लैंडिंग तक सही-सलामत रहता है जिसके बाद उसकी बाहरी लेयर को बदला जाता है।

नाइट्रोजन गैस: प्लेन के टायरों में आमतौर पर नाइट्रोजन गैस भरी जाती है।

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विशेष डिज़ाइन: इन्हें खास तरह से डिज़ाइन किया जाता है और अत्यधिक दबाव तथा घर्षण झेलने के लिए बनाया जाता है। यही कारण है कि प्लेन के टायर बहुत कम फटते हैं।

चूंकि इन टायरों में रबर के साथ कई कठोर धातुओं का भी इस्तेमाल होता है ऐसे में अत्यधिक घर्षण होने के चलते इनसे चिंगारी निकलना सामान्य हो सकता है लेकिन यह निश्चित रूप से यात्रियों के लिए चिंता का विषय बन जाता है खासकर हाल ही के हादसों के बाद।

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