Edited By Tanuja,Updated: 11 Oct, 2025 06:14 PM

दक्षिण एशिया में भारत ने एक ऐसी चाल चली है जिसने अमेरिका, चीन और पाकिस्तान तीनों को चौंका दिया है। तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ...
International Desk: दक्षिण एशिया में भारत ने एक ऐसी चाल चली है जिसने अमेरिका, चीन और पाकिस्तान तीनों को चौंका दिया है। तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल करने की घोषणा की है। भारत जल्द ही काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलने जा रहा है, जिससे पूरे क्षेत्र की भू-राजनीति में नई हलचल मच गई है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत ने हमेशा अफगान जनता के साथ खड़ा रहकर उनकी मानवीय और विकासात्मक जरूरतों को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता अफगान लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के ‘सॉफ्ट पावर रिटर्न’ का संकेत है, जो अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करेगा।
बीते दो दशकों की साझेदारी
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोकतांत्रिक शासन के दो दशकों के दौरान भारत ने अफगानिस्तान में कई अहम परियोजनाओं में निवेश किया था—
- नई संसद भवन का निर्माण,
- सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम,
- हजारों अफगान छात्रों को स्कॉलरशिप,
- और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के बड़े प्रोजेक्ट्स।
लेकिन 2021 में अशरफ गनी सरकार के पतन और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत को अपने मिशन को सीमित करना पड़ा था।
जनवरी से हुई ‘नई शुरुआत’
भारत और तालिबान के बीच संपर्क की बहाली का सिलसिला इस साल जनवरी से शुरू हुआ, जब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की थी। यह तालिबान शासन के बाद दोनों देशों के बीच सबसे उच्चस्तरीय वार्ता थी। मुत्ताकी ने उस समय भारत को “एक प्रमुख क्षेत्रीय और आर्थिक ताकत” बताते हुए राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई थी। दोनों देशों के बीच हालिया बातचीत में ईरान के चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल अहम मुद्दा रहा। यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को बाईपास कर सीधे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच प्रदान करता है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यही भारत की सबसे बड़ी भू-रणनीतिक चाल है, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को चुनौती दे सकती है।
भारत सोच-समझकर कर चल रहा चाल
भारत ने मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान 5 नई एम्बुलेंसें सौंपकर अफगान जनता के लिए मानवीय सहायता का एक और अध्याय जोड़ा है। यह 20 एम्बुलेंसों और मेडिकल उपकरणों की बड़ी सहायता का हिस्सा है, जो भारत की अफगान लोगों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत का यह कदम संकेत देता है कि नई दिल्ली अब सिर्फ दर्शक नहीं बल्कि एशिया की भू-राजनीतिक खेल में निर्णायक खिलाड़ी बन चुकी है। अफगानिस्तान में भारत की वापसी से अमेरिका, चीन और पाकिस्तान को साफ संदेश गया है कि“नई दिल्ली अब हर चाल सोच-समझकर चल रही है और काबुल अब उसके रणनीतिक नक्शे में फिर लौट आया है।”