Edited By Shubham Anand,Updated: 31 Dec, 2025 08:00 PM

PubMed में प्रकाशित एक नई रिसर्च के अनुसार, दिन में लंबी झपकी लेना डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। 40 अध्ययनों के विश्लेषण से पता चला है कि 1 घंटे से अधिक समय तक दिन में सोने वाले लोगों में ब्लड शुगर बढ़ने का जोखिम ज्यादा होता है। विशेषज्ञों का कहना...
नेशनल डेस्क : तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और बढ़ते काम के दबाव के बीच दिन में झपकी लेना आजकल कई लोगों की आम आदत बनती जा रही है। बहुत से लोग इसे थकान दूर करने और काम की उत्पादकता बढ़ाने का आसान तरीका मानते हैं। हालांकि, अब इस आदत को लेकर एक अहम रिसर्च सामने आई है, जिसमें दिन में सोने की आदत और डायबिटीज के जोखिम के बीच संबंध पर अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन मेडिकल रिसर्च प्लेटफॉर्म PubMed में प्रकाशित हुआ है।
इस रिसर्च का मकसद यह समझना था कि क्या दिन में झपकी लेने की आदत, खासकर लंबे समय तक सोना, डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है या नहीं। इसके लिए पहले से प्रकाशित कई शोधों के डेटा को एकत्र कर उनका विस्तृत विश्लेषण किया गया।
40 रिसर्च के डेटा का किया गया विश्लेषण
इस अध्ययन में कुल 40 अलग-अलग रिसर्च को शामिल किया गया, जिनमें हजारों लोगों से जुड़ा डेटा मौजूद था। रिसर्चर्स ने इसमें यह जानकारी जुटाई कि लोग दिन में झपकी लेते हैं या नहीं और यदि लेते हैं तो कितनी देर तक सोते हैं। इसके बाद इन आदतों की तुलना उनकी ब्लड शुगर स्थिति और डायबिटीज से जुड़े आंकड़ों से की गई।
एनालिसिस में यह सामने आया कि जो लोग दिन में 30 मिनट से ज्यादा, विशेष रूप से 1 घंटे या उससे अधिक समय तक झपकी लेते हैं, उनमें डायबिटीज का खतरा अपेक्षाकृत अधिक पाया गया। वहीं, जो लोग 20 से 30 मिनट की छोटी झपकी लेते हैं, उनमें डायबिटीज का जोखिम स्पष्ट रूप से नहीं बढ़ा। रिसर्चर्स का मानना है कि लंबे समय तक दिन में सोना एक चेतावनी संकेत हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें पहले से ही डायबिटीज से जुड़े जोखिम कारक मौजूद हैं।
लंबी झपकी क्यों बढ़ा सकती है डायबिटीज का खतरा?
गाज़ियाबाद के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल जैन के अनुसार, दिन में ज्यादा देर तक सोना शरीर की नेचुरल बॉडी क्लॉक यानी बायोलॉजिकल रिदम को बिगाड़ सकता है। इसका असर इंसुलिन की कार्यप्रणाली पर पड़ता है, जिससे ब्लड शुगर का संतुलन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, जो लोग दिन में अधिक सोते हैं, वे आमतौर पर शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहते हैं, जिससे शरीर में शुगर का सही उपयोग नहीं हो पाता।
कई मामलों में दिन की झपकी रात की नींद पूरी न होने का संकेत भी होती है। खराब या अधूरी नाइट स्लीप को भी डायबिटीज के बढ़ते खतरे से जोड़ा गया है। लंबे समय तक सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ने की आशंका रहती है। बढ़ता वजन डायबिटीज का एक बड़ा जोखिम कारक माना जाता है। इसी वजह से नियमित और लंबी झपकी को सेहत के लिए चेतावनी संकेत के तौर पर देखा जाता है।
एक्सपर्ट की सलाह क्या कहती है?
डॉ. स्वप्निल जैन का कहना है कि दिन में झपकी लेना पूरी तरह से गलत नहीं है, लेकिन इसकी अवधि और आदत पर खास ध्यान देना जरूरी है। यदि झपकी लेनी ही हो, तो उसे 20 से 30 मिनट तक सीमित रखना बेहतर होता है। साथ ही, रात की नींद पूरी और गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए, क्योंकि अधूरी नाइट स्लीप दिन में अधिक नींद आने का कारण बनती है।
इसके अलावा, नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे रोजाना टहलना या हल्की एक्सरसाइज ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने में मददगार साबित होती है। अगर किसी व्यक्ति को बार-बार दिन में नींद आती है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। संतुलित आहार, समय पर भोजन और सक्रिय जीवनशैली अपनाकर डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।