हरित हाइड्रोजन के लिए नीति की घोषणा, नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Feb, 2022 01:24 PM

announcement of policy for green hydrogen exemption from interstate

सरकार ने बृहस्पतिवार को देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से विभिन्न रियायतों की घोषणा की। इसमें कार्बन-मुक्त ईंधन के उत्पादन में उपयोग होने वाली नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट शामिल है। इस...

नई दिल्लीः सरकार ने बृहस्पतिवार को देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से विभिन्न रियायतों की घोषणा की। इसमें कार्बन-मुक्त ईंधन के उत्पादन में उपयोग होने वाली नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट शामिल है। इस पहल का मकसद कार्बन-मुक्त ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना तथा देश को इसके निर्यात का केंद्र बनाना है।

बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से को जारी करते हुए कहा कि सरकार का 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य है। तेल रिफाइनरियों से लेकर इस्पात संयंत्रों को तैयार उत्पादों के उत्पादन के लिये हाइड्रोजन की जरूरत पड़ती है। हाइड्रोजन का उत्पादन फिलहाल प्राकृतिक गैस या नाफ्था जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग कर किया जा रहा है। वहीं हरित हाइड्रोजन का उत्पादन सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से किया जाता है। 

सिंह ने कहा, ‘‘हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है और ये जीवाश्म ईंधन का स्थान लेंगे। इन ईंधन के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न बिजली के उपयोग पर इन्हें हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया कहा जाता है। पर्यावरण अनुकूल सतत ऊर्जा सुरक्षा के लिए इनकी जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार जीवाश्म ईंधन/जीवाश्म ईंधन आधारित कच्चे माल को हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया से बदलने के रास्ते को सुगम बनाने के लिए कई कदम उठा रही है।

नीति के दूसरे चरण में सरकार चरणबद्ध तरीके से संयंत्रों के लिये हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया के उपयोग को अनिवार्य करेगी। नीति के तहत कंपनियों को स्वयं या अन्य इकाई के माध्यम से सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकणीय स्रोतों से बिजली पैदा करने को लेकर देश में कहीं भी क्षमता स्थापित करने की आजादी होगी। वे यह बिजली बाजार से भी ले सकते हैं। हाइड्रोजन उत्पादन स्थल तक बिजली पहुंच के लिए अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट होगी। 

सरकार कंपनियों को वितरण कंपनियों के पास उत्पादित अतिरिक्त हरित हाइड्रोजन को 30 दिन तक रखने की अनुमति देगी। जरूरत पड़ने पर वे इसे वापस ले सकती हैं। बिजली वितरण का लाइसेंस रखने वाली कंपनियां हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया के उत्पादकों के लिए रियायती दर पर नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद और आपूर्ति कर सकती हैं। इस दर में केवल खरीद लागत, राज्य आयोग द्वारा तय अपेक्षाकृत कम ‘व्हीलिंग चार्ज’ (बिजली उपयोग करने वाले से पारेषण सुविधा और परिचालकों द्वारा अपनी संपत्ति के उपयोग को लेकर लिया जाने वाला शुल्क) और मार्जिन शामिल है। 

नीति के तहत हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादकों को 25 साल की अवधि के लिए अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट होगी। यह छूट उन परियोजनाओं के लिये होगी, जो 30 जून, 2025 से पहले चालू होंगी। सिंह ने कहा कि हरित हाइड्रोजन उत्पादकों और नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को ग्रिड से ‘कनेक्टविटी’ प्राथमिक आधार पर दी जाएगी ताकि प्रक्रिया संबंधी कोई देरी नहीं हो। साथ ही कारोबार सुगमता को लेकर एक पोर्टल स्थापित किया जाएगा। इसके जरिये सभी प्रकार की मंजूरी समयबद्ध तरीके से मिलेगी। 

हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया के उत्पादकों को निर्यात के मकसद से बंदरगाहों के पास बंकर बनाने की भी अनुमति होगी। मंत्री ने कहा, ‘‘इस नीति के लागू होने से देश के आम लोगों को स्वच्छ ईंधन मिलेगा। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और कच्चे तेल का आयात भी कम होगा। हमारा यह भी उद्देश्य है कि देश हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के निर्यात केंद्र के रूप में उभरे।’’ ईंधन भारत में ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से पासा पलटने वाला साबित हो सकता है जो अपनी कुल तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत और गैस का 53 प्रतिशत आयात करता है।

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