Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Jun, 2025 04:13 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में रेपो रेट में की गई 0.50% की कटौती का असर सिर्फ कर्ज लेने वालों के लिए फायदेमंद नहीं, बल्कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। रेपो रेट में कटौती के चलते जहां लोन की...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में रेपो रेट में की गई 0.50% की कटौती का असर सिर्फ कर्ज लेने वालों के लिए फायदेमंद नहीं, बल्कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। रेपो रेट में कटौती के चलते जहां लोन की ब्याज दरें घटती हैं, वहीं इसका सीधा असर बैंकों की जमा दरों पर भी पड़ता है। इससे फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला रिटर्न कम हो सकता है। जो लोग अपनी बचत पर तय ब्याज दर चाहते हैं, उन्हें अब कम रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है और FD से पहले अच्छे विकल्पों पर भी नजर डालनी चाहिए।
किन्हें होगा सबसे बड़ा फायदा?
यह फैसला खासतौर पर उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन ले चुके हैं या लेने की सोच रहे हैं। रेपो रेट घटने से बैंक अब सस्ते दरों पर कर्ज देना शुरू कर सकते हैं, जिससे EMI में भी राहत मिलेगी।
किन्हें हो सकता है नुकसान?
रेपो रेट में कटौती का एक असर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) निवेशकों पर भी पड़ेगा। पिछले कुछ महीनों में जैसे-जैसे रेपो रेट घटा है, वैसे-वैसे बैंकों ने FD पर ब्याज दरें भी घटाई हैं। SBI रिसर्च के अनुसार, फरवरी 2025 से अब तक FD दरों में 30 से 70 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट आ चुकी है। सिर्फ FD ही नहीं, सेविंग अकाउंट्स पर भी ब्याज दरें घट रही हैं।
निवेशकों के लिए क्या है सही रणनीति?
अगर आप FD में निवेश करना चाहते हैं, तो अभी भी मौका है। कई बैंक लंबी अवधि की एफडी पर 8% या उससे ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। हालांकि, ज्यादा ब्याज ऑफर करने वाले ज्यादातर स्मॉल फाइनेंस बैंक हैं, जिनमें थोड़ा जोखिम भी होता है। ऐसे में निवेश से पहले यह जरूर सुनिश्चित करें कि आपकी राशि DICGC बीमा कवर के तहत आती है, जो कि ₹5 लाख तक की जमा राशि को कवर करता है।