Stock Market Crash: अमेरिका और चीन ने डुबोई शेयर मार्केट की लुटिया! गिरावट के 5 बड़े कारण

Edited By Updated: 17 Dec, 2024 08:03 PM

bse closed at 80 684 down 1064 points nifty fell 332 points

मंगलवार को शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट आई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1064 अंक गिरकर 80,684 के स्तर पर जबकि निफ्टी भी 332 अंक टूटा, ये 24,336 के स्तर पर बंद हुआ।

बिजनेस डेस्कः मंगलवार को शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट आई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1064 अंक गिरकर 80,684 के स्तर पर जबकि निफ्टी भी 332 अंक टूटा, ये 24,336 के स्तर पर बंद हुआ।

दोपहर दो बजे तक सेंसेक्स एक हजार से ज्यादा अंक तक गिर गया। वहीं निफ्टी में भी 300 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई। मार्केट में गिरावट के कई कारण रहे। इसमें सबसे बड़ा कारण अमेरिका और चीन है।

बैंक, ऑटो, मेटल और IT शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही। NSE का निफ्टी बैंक इंडेक्स करीब 1% नीचे रहे। ऑटो, IT और FMCG इंडेक्स करीब 0.50% नीचे, वहीं निफ्टी मीडिया और रियल्टी इंडेक्स करीब 1% ऊपर रहा।

गिरावट के 5 बड़े कारण

फेड मीटिंग से पहले घबराहट

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की कल नीति बैठक होगी। इस बैठक से पहले ही निवेशक सतर्क हो गए हैं। इस बैठक में केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि लंबे समय में इसका असर भारतीय शेयर मार्केट के लिए अच्छा संकेत हो सकता है।

डॉलर का मजबूत होना

रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर की कीमत लगातार बढ़ रही है। डॉलर इंडेक्स 106.77 पर स्थिर है, लेकिन इस साल इसमें 5% की तेजी आ चुकी है। मजबूत डॉलर भारतीय शेयर मार्केट के लिए विदेशी निवेशकों की रुचि को कम करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह उभरते बाजारों में निवेश को कम आकर्षक बनाता है।

चीन की अर्थव्यवस्था में कमजोरी

नवंबर में चीन की खपत उम्मीद से कहीं ज्यादा कम रही है। खुदरा बिक्री में सिर्फ 3% की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर के 4.8% की वृद्धि से काफी कम है। वहीं दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन में साल-दर-साल 5.4% की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर के अनुरूप है। यह मंदी वैश्विक कमोडिटी मांग को प्रभावित कर सकती है। इससे भारत में मेटल, एनर्जी और ऑटो सेक्टर के लिए जोखिम पैदा हो सकता है। आज के कारोबार में निफ्टी मेटल और ऑटो सेक्टर में बड़ी गिरावट आई।

व्यापार घाटा बढ़ना

भारत का व्यापारिक व्यापार घाटा नवंबर में बढ़कर 37.84 बिलियन डॉलर के अब तक के हाई लेवल पर पहुंच गया है। यह अक्टूबर में 27.1 बिलियन डॉलर था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश का आयात बिल बढ़ गया और निर्यात में गिरावट आई। व्यापारिक घाटा बढ़ने से रुपए पर दबाव पड़ेगा जिससे यह डॉलर के मुकाबले 85 डॉलर पर पहुंच जाएगा। इससे आईटी और फार्मा जैसे निर्यातकों को रुपये में गिरावट से लाभ होग  लेकिन आयातकों के लिए आयात लागत में वृद्धि से उनके शेयर की कीमतों पर असर पड़ेगा।

ग्लोबल मार्केट में गिरावट

फेड रिजर्व की बैठक को लेकर दुनिया के दूसरे बाजार भी मंगलवार को सहम गए। जापान के बाहर एशिया-प्रशांत शेयरों के एमएससीआई के व्यापक सूचकांक में 0.3% की गिरावट आई। जापान के निक्केई में 0.15% की गिरावट आई, जबकि वायदा कारोबार ने यूरोपीय शेयर बाजारों के लिए सुस्त शुरुआत का संकेत दिया। यूरोस्टॉक्स 50 वायदा कारोबार में 0.16% की गिरावट आई। वहीं जर्मन DAX वायदा कारोबार में 0.06% की गिरावट आई। FTSE वायदा कारोबार में 0.24% की कमजोरी आई।
 

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