Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jun, 2022 06:29 PM
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Cait) ने जीएसटी पर गठित मंत्रियों के समूह द्वारा दी गई सिफारिशों को जीएसटी काउन्सिल की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग में लागू न करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि इन्हें लागू करने से पहले पहले...
बिजनेस डेस्कः कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Cait) ने जीएसटी पर गठित मंत्रियों के समूह द्वारा दी गई सिफारिशों को जीएसटी काउन्सिल की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग में लागू न करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि इन्हें लागू करने से पहले पहले व्यापारियों से सलाह मशविरा किया जाना चाहिए।
कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से आग्रह करते हुए कहा है बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी सूरत में इसको 5 फीसदी के कर दायरे में न लाया जाए जिसकी सिफारिश समिति ने की है। कैट ने यह भी कहा कि टेक्सटाइल और फुटवियर को 5 प्रतिशत के कर स्लैब में ही रखा जाए। रोटी, कपड़ा और मकान आम जरूरतों की वस्तुएं हैं और अगर इन पर टैक्स लगाया गया तो इसका सीधा भार देश के 130 करोड़ लोगों पर पड़ेगा जो पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं। आम आदमी की आमदनी कम हो रही है जबकि खर्च दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जब हर महीने जीएसटी राजस्व के आंकड़े में वृद्धि हो रही है ऐसे में किसी भी वस्तु कर अधिक जीएसटी लगाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह जरूरी है कि जीएसटी कर कानूनों और नियमों की नए सिरे से दोबारा समीक्षा हो और जहां कानून और नियमों में बदलाव हो वहीं कर दरों में विसंगतियों को समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्रियों के समूह ने अनेक वस्तुओं को जीएसटी में प्राप्त छूटों को समाप्त करने तथा अनेक वस्तुओं की कर की दरों में वृद्धि करने की सिफ़ारिश एकतरफा हैं क्योंकि उन्होंने केवल राज्य सरकारों का पक्ष ही जाना है और व्यापारियों से इस मामले पर कोई चर्चा तक नहीं की गई है। कोई भी एकतरफा फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और पार्टिसिपेटरी गवर्नेंस के विरुद्ध होगा।
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि जीएसटी कर प्रणाली की जटिलता को दूर किया जाए जबकि अगर समिति की सिफारिशों को माना गया तो यह कर प्रणाली और अधिक जटिल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जो सिफ़ारिशें समिति ने की हैं उनके लागू करने से कर ढांचा अधिक विकृत और असमान्य हो जाएगा जो जीएसटी कर प्रणाली के मुख्य उद्देश्य से भिन्न होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी की कर दरों में संशोधन के जीएसटी काउन्सिल के विचार से देश भर के व्यापारी सहमत हैं लेकिन फिर एक साथ जीएसटी के सभी कर स्लैबो में एक साथ आमूल चूल परिवर्तन जरूरी है।