Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Dec, 2025 11:50 AM

देश में लगातार बढ़ते एयर और वॉटर पॉल्यूशन को देखते हुए जीएसटी काउंसिल बड़ा फैसला ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक, काउंसिल की अगली बैठक में एयर प्यूरीफायर और वाटर प्यूरीफायर पर लगने वाले जीएसटी में कटौती का ऐलान किया जा सकता है। फिलहाल इन दोनों...
बिजनेस डेस्कः देश में लगातार बढ़ते एयर और वॉटर पॉल्यूशन को देखते हुए जीएसटी काउंसिल बड़ा फैसला ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक, काउंसिल की अगली बैठक में एयर प्यूरीफायर और वाटर प्यूरीफायर पर लगने वाले जीएसटी में कटौती का ऐलान किया जा सकता है। फिलहाल इन दोनों उत्पादों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिसे घटाकर 5 फीसदी किए जाने पर विचार चल रहा है।
इसके साथ ही एयर और वाटर प्यूरीफायर को कंज्यूमर गुड्स की बजाय आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। उद्योग जगत का अनुमान है कि जीएसटी की दर कम होने से इन उत्पादों की खुदरा कीमतों में 10 से 15 फीसदी तक की कमी आ सकती है। इससे कम आय वाले परिवारों के लिए भी साफ हवा और सुरक्षित पेयजल तक पहुंच आसान हो सकेगी। हालांकि, जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
दिल्ली हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक सितंबर में हुई थी, जिसमें एयर प्यूरीफायर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि इस मुद्दे पर विचार चल रहा है लेकिन टैक्स में किसी भी तरह की कटौती के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की सहमति जरूरी होगी।
हाल के दिनों में इस मुद्दे पर दबाव और बढ़ गया है। 24 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी घटाने या खत्म करने पर विचार के लिए जीएसटी काउंसिल की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जाए। अदालत ने यह भी कहा कि यदि संभव न हो तो बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की जाए।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि ऐसा कदम “मुसीबतों का पिटारा खोल सकता है”, हालांकि यह भी कहा गया कि इस विषय पर विचार किया जाएगा।
सरकार ने रखी अपनी बात
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने अदालत को बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठकें तय प्रक्रिया के तहत शारीरिक रूप से आयोजित की जाती हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कराना व्यावहारिक नहीं है। यह मामला अधिवक्ता कपिल मदन द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद कोर्ट के संज्ञान में आया। याचिका में तर्क दिया गया कि एयर प्यूरीफायर को “विलासिता की वस्तु” मानकर 18 फीसदी टैक्स लगाना जन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी तेज
इस मुद्दे पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है। नवंबर में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से एयर और वाटर प्यूरीफायर पर जीएसटी खत्म करने की मांग की थी। उद्योग और व्यापार संगठनों ने भी ज्ञापन सौंपकर टैक्स की दर घटाकर 5 फीसदी करने की अपील की है।
इन मांगों को और मजबूती देते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी दिसंबर की रिपोर्ट में सिफारिश की है कि एयर प्यूरीफायर, वाटर प्यूरीफायर और उनके पार्ट्स पर जीएसटी घटाया जाए या पूरी तरह समाप्त किया जाए। समिति ने कहा कि स्वच्छ हवा और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने की कोशिश करने वाले नागरिकों को कर के जरिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए।