Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Apr, 2019 11:36 AM
अगर दिवाला कानून के तहत रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) से लोन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू होती है तो स्वीडन की टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन को उससे मिले 550 करोड़ रुपए लौटाने पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एरिक्सन को आरकॉम ने यह बकाया रकम...
मुंबईः अगर दिवाला कानून के तहत रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) से लोन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू होती है तो स्वीडन की टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन को उससे मिले 550 करोड़ रुपए लौटाने पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एरिक्सन को आरकॉम ने यह बकाया रकम लौटाई थी।
RCom को NCLAT से मिली थी राहत
फरवरी में अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम ने नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) में अपील दायर करके खुद के खिलाफ उस आवेदन पर स्टे लगाने को कहा था, जिसे पिछले साल NCLT ने स्वीकार किया था। NCLAT ने कहा था कि अगर आरकॉम, एरिक्सन का बकाया 550 करोड़ रुपए लौटा देती है तो उसके खिलाफ दिवाला कानून के तहत कार्यवाही नहीं होगी।
NCLAT पूछा, एरिक्सन को पैसा क्यों मिले?
एस जे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाले दो सदस्यीय अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सोमवार को कहा, 'अगर हम आरकॉम के खिलाफ इस अपील को खारिज करते हैं तो एरिक्सन को पैसा वापस करना होगा। आरकॉम को कर्ज देने वाले बैंक जब रिकवरी के लिए परेशान हैं, तब एरिक्सन को पैसा क्यों मिलना चाहिए?'
उन्होंने कहा कि जिस समझौते के तहत आरकॉम के खिलाफ इन्सॉल्वंसी प्रॉसिडिंग्स रोकी गई थी, उसके मुताबिक कंपनी की संपत्तियों की बिक्री नहीं हो पाई है। आरकॉम पर 46 हजार करोड़ का कर्ज है। कंपनी काफी समय से संपत्ति बेचकर कर्ज चुकाने की कोशिश कर रही है। आरकॉम ने रिलायंस जियो के साथ वायरलेस ऐसेट्स की बिक्री का समझौता किया था, लेकिन मजबूरन उसे इसे रद्द करना पड़ा। इस सौदे के लिए कंपनी को जरूरी अप्रूवल नहीं मिल पाए हैं।
30 अप्रैल को अगली सुनवाई
बेंच ने कहा, 'हमें इस अपील को रद्द कर देना चाहिए और दिवाला कानून के तहत प्रक्रिया चलने देनी चाहिए।' NCLAT में इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। अगर आरकॉम के खिलाफ दिवाला कानून के तहत कार्यवाही शुरू होती है तो एरिक्सन फिर से वहीं पहुंच जाएगी, जहां से वह चली थी। सुप्रीम कोर्ट के आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी को जेल में डालने की चेतावनी देने के बाद एरिक्सन को ब्याज समेत 576 करोड़ रुपए का बकाया मिला था।