Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Oct, 2025 04:46 PM

भारत को खिलौनों का वैश्विक विनिर्माण केंद्र (Global Toy Manufacturing Hub) बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी चल रही है। उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) 13,000 करोड़ रुपए की एक नई योजना तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य घरेलू...
बिजनेस डेस्कः भारत को खिलौनों का वैश्विक विनिर्माण केंद्र (Global Toy Manufacturing Hub) बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी चल रही है। उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) 13,000 करोड़ रुपए की एक नई योजना तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और चीन व वियतनाम जैसे देशों पर आयात निर्भरता को कम करना है।
सूत्रों के अनुसार, योजना को अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल जाती है, तो इससे न केवल खिलौनों का घरेलू विनिर्माण बढ़ेगा बल्कि निर्दिष्ट कच्चे माल के लिए भी वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। योजना के तहत 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर रियायती सीमा शुल्क का लाभ मिलेगा। हालांकि पात्रता के लिए निवेश, बिक्री, स्थानीय मूल्य संवर्द्धन और निर्यात से जुड़ी शर्तें पूरी करनी होंगी।
वित्त मंत्री की घोषणा के बाद आगे बढ़ा प्रस्ताव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2026 के बजट में खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने की घोषणा की थी। इसी घोषणा के बाद DPIIT ने यह नई प्रोत्साहन योजना तैयार की है। इससे पहले 3,489 करोड़ रुपए की पीएलआई (PLI) योजना प्रस्तावित की गई थी लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली थी क्योंकि सरकार पहले से चल रही 14 पीएलआई योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कर रही थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह योजना अभी चर्चा के चरण में है लेकिन सरकार का लक्ष्य इसे जल्द से जल्द लागू करने का है ताकि भारत का खिलौना उद्योग अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सके।
तीन तरह के प्रोत्साहन मिलेंगे
प्रस्तावित योजना के तहत तीन प्रमुख प्रकार के वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे:
- टीएलआई (Turnover Linked Incentive): सालाना कारोबार और निवेश लक्ष्य पूरा करने वाली कंपनियों को लाभ।
- एलएलआई (Localization Linked Incentive): कच्चे माल का स्थानीय उत्पादन करने पर प्रोत्साहन राशि।
- ईएलआई (Employment Linked Incentive): नई नौकरियों के सृजन पर वित्तीय सहायता।
इन प्रोत्साहनों का लाभ पात्र कंपनियों को 5 वर्षों तक मिलेगा।
भारत का खिलौना उद्योग — अब भी सीमित हिस्सेदारी
2024 में वैश्विक खिलौना बाजार का अनुमानित आकार 114 अरब डॉलर है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी फिलहाल सिर्फ 1.7% है। इसके विपरीत, चीन का बाजार पर 58% हिस्सा है। अन्य प्रमुख निर्माता देशों में वियतनाम, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था, “हम खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत भारत को वैश्विक केंद्र बनाएंगे। यह योजना उच्च गुणवत्ता वाले, नवीन और टिकाऊ खिलौनों के निर्माण पर केंद्रित होगी जो ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड को वैश्विक पहचान दिलाएंगे।” सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से स्थानीय विनिर्माण, रोजगार और निर्यात — तीनों को मजबूती मिलेगी और भारत “टॉय हब ऑफ द वर्ल्ड” बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा।