Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Aug, 2022 05:44 PM
शिकागो एक्सचेंज के लगभग आधा प्रतिशत मजबूती के साथ बंद होने से शनिवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला जबकि आयात भाव के मुकाबले सोयाबीन का स्थानीय भाव कम होने से सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्व-
नई दिल्लीः शिकागो एक्सचेंज के लगभग आधा प्रतिशत मजबूती के साथ बंद होने से शनिवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला जबकि आयात भाव के मुकाबले सोयाबीन का स्थानीय भाव कम होने से सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्व-स्तर पर बने रहे। वहीं पामोलीन तेल के भाव टूटने के बीच बाकी लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतें पिछले स्तर पर बंद हुईं। वहीं बाजार के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल खाद्य तेलों के दाम काफी नीचे हैं लेकिन खुदरा कीमतों में खास गिरावट नहीं आई है ऐसे में कीमतों में और गिरावट की पूरी गुंजाइश है।
घरेलू किसानों के सामने आ सकती है मांग को लेकर समस्या
बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि सोयाबीन डीगम तेल का आयात कहीं महंगा बैठता है और इस तेल का स्थानीय भाव भी कमजोर होने से इसके आयात में नुकसान है। पामोलीन तेल का भाव इतना कम है कि इसके आगे कोई खाद्यतेल नहीं टिकेगा। पामोलीन इसी तरह सस्ता बना रहा तो अगले लगभग सवा महीने बाद आने वाली सोयाबीन, मूंगफली और बिनौला की फसल की खपत को लेकर दिक्कत आ सकती है। सूत्रों ने कहा कि ऐसा होने पर सरकार को घरेलू किसानों के हित साधने के लिए समुचित कदम उठाने होंगे।
उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा कीमतों में गिरावट का फायदा
सूत्रों के मुताबिक, विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूट गए हैं और सरकार ने आयात शुल्क में भी ढील दे रखी है। इसके बावजूद कीमतों में हुई टूट के मुकाबले उपभोक्ताओं को उसका 25-30 प्रतिशत भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण खुदरा कारोबार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) जरुरत से कहीं ज्यादा रखा जाना है। सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली के मालवीय नगर में खुदरा कारोबारियों को सरसों तेल 140 रुपए प्रति लीटर के भाव पर बिका जबकि वहां से 180-200 रुपए प्रति लीटर के एमआरपी भाव पर सरसों तेल बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे सौदों की निगरानी कर सकती है और उनके बिलों की जांच कर सकती है कि एक सीमा से अधिक कीमत उपभोक्ताओं से क्यों वसूली जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यह तेल 145 रुपए प्रति लीटर से अधिक भाव पर नहीं बिकना चाहिए। थोक कारोबारियों का मार्जिन बेहद कम है पर खुदरा में एमआरपी के बहाने अधिक कीमत वसूली जा रही है। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में जिस मात्रा में भाव टूटे हैं, उसी के अनुरूप भारत में भी तेल कीमतें कम होनी चाहिए।