Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 May, 2025 10:44 AM

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जिससे भारत को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी ICRA की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह ट्रेंड बरकरार रहता है तो चालू वित्त वर्ष में...
बिजनेस डेस्कः अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जिससे भारत को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी ICRA की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह ट्रेंड बरकरार रहता है तो चालू वित्त वर्ष में सरकार को कच्चे तेल और एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) के आयात पर कुल ₹1.8 लाख करोड़ तक की बचत हो सकती है।
कच्चे तेल की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर
ICRA का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कच्चे तेल की औसत कीमतें 60 से 70 डॉलर प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 60.23 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई, जो पिछले चार वर्षों में सबसे निचला स्तर है। भारत अपनी 85% से अधिक कच्चे तेल की जरूरतें आयात से पूरी करता है और 2024-25 में इस पर लगभग 242.4 अरब डॉलर खर्च किए गए थे।
LNG की कीमतों में भी गिरावट संभव
एलएनजी की मांग का करीब आधा हिस्सा देश में ही पूरा हो जाता है, फिर भी 2024-25 में इसके आयात पर 15.2 अरब डॉलर खर्च किए गए। वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद और मांग में अनिश्चितता के कारण इसकी कीमतों में भी नरमी आ सकती है।
आम जनता को मिलेगा सीधा लाभ?
हालांकि पेट्रोल-डीजल के दाम गिरने की संभावना है लेकिन इसका लाभ आम जनता तक कितना पहुंचेगा, यह अभी तय नहीं है। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि केंद्र सरकार और तेल विपणन कंपनियां इस बचत का कितना हिस्सा खुद रखती हैं और कितना उपभोक्ताओं को राहत के रूप में देती हैं।