Mahashivratri - महााशिवरात्रि के शुभ अवसर पर घर बैठे करें 12 ज्योर्तिंलिंगों के दर्शन

Edited By Updated: 18 Feb, 2023 10:14 AM

12 jyotirlingas and their places

कलियुग में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं भगवान शिव। शायद ही कोई नगर, ग्राम, मोहल्ला हो जहां शिवमंदिर न हो और शायद ही कोई हिंदू घर हो जहां भगवान शिव जी का नाम न लिया जाता हो

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12 jyotirlingas and their places- कलियुग में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं भगवान शिव। शायद ही कोई नगर, ग्राम, मोहल्ला हो जहां शिवमंदिर न हो और शायद ही कोई हिंदू घर हो जहां भगवान शिव जी का नाम न लिया जाता हो। भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। भगवान श्रीराम ने भी रामेश्वरम नाम के शिवलिंग की आराधना करके लंका पर आक्रमण किया था।

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12 Jyotirlingas spread in india- शिवजी के बारह ज्योर्तिंलिंगों (द्वादश ज्योर्तिंलिंग) के दर्शन परमात्मा की प्राप्ति कराने में सहायक हैं। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। अत: इस दिन व्रत एवं शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है। इसमें इन बारह ज्योर्तिंलिंगों की महिमा तो अपरम्पार है।

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Maha Shivratri 2023- शिवरात्रि पर्व पर इन मंदिरों में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की लम्बी कतार लगी रहती है। शिवजी तो मात्र जलधारा से ही प्रसन्न होकर वर देने वाले देवता हैं। जलाभिषेक के लिए शिवरात्रि सर्वाधिक पुण्यदायी पर्व है।

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सोमनाथ :
यह स्थान गुजरात में है। कहते हैं यहां चंद्रमा ने शिवजी की आराधना की थी।

मल्लिकार्जुन : यह तमिलनाडु प्रांत में है। यहां कार्तिकेय जी ने तपस्या की थी।

महाकालेश्वर : यह उज्जैन (म.प्र.) में शिप्रा के तट पर स्थित है। यहां देवताओं ने शिव जी की आराधना की थी।

ओंकारेश्वर : यह मालवा में नर्मदा की धारा के बीच मान्धाता पर्वत पर है। कहते हैं विन्ध्य के दुख दूर करने को भगवान आशुतोष यहां आए थे।

केदारनाथ : यह उत्तरांचल में स्थित है। यहां नर व नारायण ऋषि ने तप किया था।

भीमाशंकर : यह असम के कामरूप में ब्रह्मपुत्र के तट पर है। यहां शिवजी ने भीम नाम के असुर का वध किया था।

विश्वेश्वर : यह काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर में है। कहते हैं प्रलयकाल में शिवजी ने अपने त्रिशूल पर काशी को स्थान दिया था।

त्रयम्बकेश्वर : यह वासिर महाराष्ट्र में गोमती तट पर है। यहां गौतम ऋषि ने तपस्या की थी। इस ज्योर्तिंलिंग के तीन स्वरूप ब्रह्मा-विष्णु, महेश हैं।

बैद्यनाथ : यह जसीडीह संथाल परगना (प. बंगाल) में है। यहां रावण द्वारा पृथ्वी पर रखा गया शिवलिंग विद्यमान है।

नागेश्वर : यह द्वारिका में है। यहां भगवान ने सुप्रिय को मुक्ति करने हेतु दारुक को दंड दिया था।

रामेश्वरम् : यहां हनुमान जी द्वारा कैलाश पर्वत से लाया गया और श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है जिसकी श्रीराम जी ने आराधना की थी।

घुश्मेश्वर : यह बेरूल, दौलताबाद (महाराष्ट्र) में हैं। यहां शिवजी ने घुश्मा को संतान का वरदान दिया था।

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