Apsara Tilottama Story: तिलोत्तमा का जन्म कैसे हुआ ? जानें इंद्रलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा के पीछे की अनसुनी कहानी

Edited By Updated: 05 Oct, 2025 08:26 AM

apsara tilottama story

Apsara Tilottama Story: स्वर्ग की अप्सराओं में तिलोत्तमा का नाम उनके अद्वितीय और अवर्णनीय सौंदर्य के लिए सबसे ऊपर लिया जाता है। उनका नाम ही उनके अद्भुत रूप की कहानी कहता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Apsara Tilottama Story: स्वर्ग की अप्सराओं में तिलोत्तमा का नाम उनके अद्वितीय और अवर्णनीय सौंदर्य के लिए सबसे ऊपर लिया जाता है। उनका नाम ही उनके अद्भुत रूप की कहानी कहता है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्माजी ने संसार के प्रत्येक कोने से 'तिल-तिल भर' सुंदरता को इकट्ठा कर उनकी रचना की थी, यही कारण है कि उनका नाम तिलोत्तमा पड़ा। कुछ कथाओं में तो यह भी कहा गया है कि उनका जन्म स्वयं ब्रह्माजी के हवन कुंड से हुआ था। तिलोत्तमा का जन्म एक विशेष लक्ष्य को पूरा करने के लिए हुआ था, जिसकी कथा दो अहंकारी असुर भाइयों से जुड़ी है।

PunjabKesari Apsara Tilottama Story

दो असुर भाइयों का वध
हिरण्यकश्यप के वंश में निकुंभ नामक एक शक्तिशाली असुर था, जिसके दो पुत्र थे सुन्द और उपसुन्द। इन दोनों भाइयों में अगाध प्रेम था और उन्होंने विश्वविजय की इच्छा से विंध्याचल पर्वत पर घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए। जब दोनों भाइयों ने अमरता का वरदान मांगा, तो ब्रह्माजी ने मना कर दिया। तब उन दोनों ने चतुराई से वरदान मांगा कि उन्हें त्रिलोक में कोई न मार सके, सिवाय एक-दूसरे के। उन्हें अपने आपसी प्रेम पर इतना भरोसा था कि उन्हें लगा कि वे कभी आपस में नहीं लड़ेंगे।

वरदान पाते ही सुन्द और उपसुन्द ने तीनों लोकों में अत्याचार करना शुरू कर दिया, जिससे पूरी सृष्टि त्रस्त हो गई। देवताओं और मनुष्यों को उनके अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए, ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा जी से एक ऐसी सुंदरी की रचना करने को कहा जो इन दोनों भाइयों के अहंकार और वरदान को समाप्त कर सके।

PunjabKesari Apsara Tilottama Story

विश्वकर्मा जी ने तीनों लोकों की थोड़ी-थोड़ी सुंदरता लेकर तिलोत्तमा का निर्माण किया। जब तिलोत्तमा दोनों असुर भाइयों के सामने प्रकट हुईं, तो उनके अलौकिक सौंदर्य को देखते ही वे दोनों उस पर मोहित हो गए। उनका पुराना भाईचारा और प्रेम नष्ट हो गया, और वे तिलोत्तमा को पाने के लिए आपस में ही लड़ने लगे। अंततः, एक-दूसरे के हाथों मारे गए, और इस प्रकार तिलोत्तमा ने अपने जन्म का उद्देश्य पूरा किया।

शाप और दूसरा जन्म
देवताओं का कार्य पूरा करने वाली तिलोत्तमा को अपने रूप पर कुछ अभिमान हो गया था। इस सुंदरता के अभिमान के कारण ही उन्हें महर्षि अष्टावक्र और दुर्वासा ऋषि जैसे क्रोधित संतों से शाप भी मिला। दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण, यही तिलोत्तमा बाद में असुर बाणासुर की पुत्री उषा के रूप में धरती पर जन्मी। उषा ने भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न से प्रेम किया और बाद में उनसे विवाह किया। इसके अलावा, तिलोत्तमा का उल्लेख सूर्य से भी जुड़ा है। पुराणों के अनुसार, वह माघ मास में अन्य सौर गणों के साथ सूर्य के रथ की मालकिन के रूप में भी रहती हैं।

संक्षेप में, तिलोत्तमा का जीवन सौंदर्य की शक्ति का प्रतीक है, जिसने एक ओर संसार को दुष्ट असुरों से मुक्ति दिलाई, वहीं दूसरी ओर स्वयं अपने रूप के अभिमान के कारण शाप भी पाया।

PunjabKesari Apsara Tilottama Story

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!