Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम में पारंपरिक पंच पूजा प्रारंभ, मंदिर परिसर में तैयारियों ने पकड़ी रफ्तार

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 02:27 PM

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Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले की जाने वाली पंच पूजाएं अत्यंत खास धार्मिक प्रक्रिया मानी जाती हैं। आस्था के अनुसार, इन पूजाओं के दौरान देवशक्तियों का धाम में आगमन प्रारंभ हो जाता है और कपाट बंद होने के बाद पूरे...

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Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले की जाने वाली पंच पूजाएं अत्यंत खास धार्मिक प्रक्रिया मानी जाती हैं। आस्था के अनुसार, इन पूजाओं के दौरान देवशक्तियों का धाम में आगमन प्रारंभ हो जाता है और कपाट बंद होने के बाद पूरे छह महीनों तक भगवान बदरीनाथ की पूजा का अधिकार देवताओं को सौंप दिया जाता है।

पंच पूजाओं की शुरुआत- 
कपाट बंद होने से ठीक पांच दिन पहले बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं की शुरुआत हो जाती है। इस अवधि में धाम के विभिन्न मंदिरों में इस साल की अंतिम पूजा संपन्न की जाती है और फिर उनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
सबसे पहले गणेश मंदिर में अंतिम पूजा की जाती है और पूजा-अर्चना के पश्चात मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए जाते हैं।

दूसरे दिन आदि केदारेश्वर में अन्नकूट महोत्सव
पंच पूजाओं के दूसरे दिन आदि केदारेश्वर मंदिर में अन्नकूट की विशेष परंपरा निभाई जाती है। इसमें भगवान शिव को पके हुए चावलों का भोग लगाया जाता है और शिवलिंग को अन्नकूट के रूप में ढक दिया जाता है। पूजा पूरी होने पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

अगले दिनों के कार्यक्रम—ग्रंथ पूजन से लेकर कढ़ाई भोग तक

तीसरे दिन धाम में धार्मिक ग्रंथों का पूजन और वेद मंत्रों के वाचन की अंतिम प्रक्रिया पूरी होती है।

चौथे दिन माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित कर विशेष पूजा की जाती है।

इसके बाद बदरीनाथ मंदिर में कपाट बंद करने की अंतिम तैयारियां पूरी की जाती हैं।

छह माह मनुष्यों की पूजा, छह माह देवताओं का अधिकार
धर्म विशेषज्ञों के अनुसार, बदरीनाथ धाम में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि छह महीनों तक पूजा मनुष्यों द्वारा की जाती है और शीतकाल के दौरान छह महीने पूजा का कार्य देवताओं को सौंप दिया जाता है। जैसे ही पंच पूजाएं शुरू होती हैं, ऐसा माना जाता है कि देवगण धाम में विराजमान होने लगते हैं।

21 से 25 नवंबर तक की पूर्ण कपाट बंदी प्रक्रिया

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की औपचारिक प्रक्रिया 21 नवंबर से प्रारंभ हो चुकी है।

21 नवंबर: भगवान बद्री विशाल का अभिषेक और गणेश मंदिर में विशेष पूजा
22 नवंबर: आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद
23 नवंबर: सभा मंडप में धार्मिक ग्रंथ पूजन और वेद वाचन का समापन
24 नवंबर: माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित
25 नवंबर, दोपहर 2:56 बजे: विधि-विधान के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

 

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