Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Feb, 2024 07:50 AM
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से साधक को विशेष रूप से कृपा
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Basant Panchami 2024: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से साधक को विशेष रूप से कृपा प्राप्त होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती प्राकट्य हुईं थी, इस वजह से इस दिन को बेहद ही खास माना जाता है। वहीं इस दिन किये गए कुछ खास उपाय आपने जीवन को खुशहाल बनाने का काम करते हैं। इस दिन सरस्वती यंत्र की स्थापना करने से कारोबार, नौकरी या फिर शिक्षा हर जगह जातक को जीत हासिल होती है। अगर आप भी इसे स्थापित करने का प्लान बना रहे हैं तो बसंत पंचमी का दिन बहुत खास है। लेकिन इसे रखते समय दिशाओं का भी बेहद ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि किस दिशा में इसे रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। सबसे पहले जानते हैं क्या होता है सरस्वती यंत्र ?
What is Saraswati Yantra क्या होता है सरस्वती यंत्र ?
बौद्धिक शक्ति, एकाग्रता और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सरस्वती यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है। मां सरस्वती को खुश करने का सबसे आसान तरीका है इस यंत्र की स्थापना। जिन लोगों की याददाश्त कमजोर है या फिर पढ़ाई में मन नहीं लग पा रहा है तो इस यंत्र को घर में स्थापित करने की सलाह दी जाती है। शिक्षा ही नहीं बल्कि कारोबार और लाभ और नौकरी में प्रमोशन पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
Correct direction to install Saraswati Yantra सरस्वती यंत्र स्थापित करने की सही दिशा
श्री यंत्र की स्थापना करने से पहले दिशाओं का ज्ञान लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इसे घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखें और इस बाद का ध्यान रखें कि इस यंत्र की नोक को पूर्व दिशा की तरफ हो। सबसे पहली बात को तो इसकी वजह से वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है और कार्यक्षेत्र और कारोबार में भी सफलता प्राप्त होती है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा को बुलाने के लिए भी ये यंत्र बेहद ही खास माना जाता है।
Saraswati Yantra Installation Method सरस्वती यंत्र स्थापना विधि
इसको स्थापित करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठे और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का ध्यान करें। इसके बाद यन्त्र को गंगाजल और कच्चे दूध के साथ अभिषेक करें।
अंत में इस मंत्र का जाप करते हुए उत्तर-पूर्व दिशा में इसे स्थापित कर दें।
ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।