Edited By Sarita Thapa,Updated: 29 Dec, 2025 02:01 PM

आज के दौर में हम सभी एक ऐसी दौड़ का हिस्सा हैं, जहां सफलता का पैमाना सिर्फ बैंक बैलेंस, आलीशान घर और ऊंचे पद को माना जाता है। लेकिन आपने कभी गौर किया है कि जो लोग इस दौड़ में सबसे आगे हैं, वे अक्सर सबसे ज्यादा मानसिक तनाव और बेचैनी में क्यों रहते...
Premanand Maharaj Teachings : आज के दौर में हम सभी एक ऐसी दौड़ का हिस्सा हैं, जहां सफलता का पैमाना सिर्फ बैंक बैलेंस, आलीशान घर और ऊंचे पद को माना जाता है। लेकिन आपने कभी गौर किया है कि जो लोग इस दौड़ में सबसे आगे हैं, वे अक्सर सबसे ज्यादा मानसिक तनाव और बेचैनी में क्यों रहते हैं। वृंदावन के विख्यात संत श्री प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों में अक्सर इस बात पर जोर देते हैं कि 'सफलता' और सुख दो अलग-अलग चीजें हैं। तो आइए जानते हैं उनके विचारों में छिपे परमानंद के उस रहस्य को, जो आपको भीतर से शांत और संपन्न बना सकता है।
साधन और साध्य के बीच का अंतर
महाराज जी कहते हैं कि पैसा केवल जीवन जीने का एक 'साधन' है, वह जीवन का साध्य (लक्ष्य) नहीं हो सकता। जैसे एक बढ़िया कार आपको सफर में आराम दे सकती है, लेकिन वह सफर का उद्देश्य नहीं होती। हम गलती यह करते हैं कि हम पैसे को ही अंतिम सुख मान लेते हैं। जब साधन को ही साध्य मान लिया जाता है, तब मन में कभी न खत्म होने वाली लालसा पैदा होती है, जो अशांति का सबसे बड़ा कारण है।
बाहरी सुख बनाम आंतरिक आनंद
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सुख हमेशा बाहर की चीजों पर निर्भर होता है। अगर ये चीजें छिन जाएं, तो सुख चला जाता है। लेकिन आनंद वह है जो आपकी आत्मा के भीतर है। जब आप अपने भीतर के परमात्मा से जुड़ते हैं, तो चाहे परिस्थिति कैसी भी हो आप करोड़पति हों या साधारण व्यक्ति आपके चेहरे की मुस्कान और मन का सुकून कोई नहीं छीन सकता।

मैं और मेरा का बोझ
तनाव का एक बड़ा कारण अहंकार है। महाराज जी समझाते हैं कि जब हम कहते हैं कि यह सब मैंने किया है" या यह मेरा है, तो उस संपत्ति और सफलता को बनाए रखने का डर हमें बेचैन कर देता है। जिस दिन आप ट्रस्टी बनकर जीना शुरू कर देंगे और यह मान लेंगे कि "सब प्रभु का है और मैं सिर्फ उनकी सेवा कर रहा हूँ", उसी दिन आपका सारा मानसिक बोझ उतर जाएगा।
परमानंद पाने के व्यावहारिक सूत्र
नाम जप का अभ्यास
चाहे आप ऑफिस में हों या घर पर, मन ही मन अपने इष्ट का नाम जपते रहें। यह आपके मन को शांत रखने का सबसे शक्तिशाली तरीका है।
परोपकार और सेवा
अपनी कमाई और समय का कुछ हिस्सा दूसरों की मदद में लगाएं। दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने से जो तृप्ति मिलती है, वह किसी लग्जरी आइटम से नहीं मिल सकती।
इंद्रियों पर नियंत्रण
जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं का गुलाम है, वह कभी सुखी नहीं रह सकता। अपनी इंद्रियों को संयमित करना ही असली सफलता है।

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