Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Feb, 2024 09:36 AM
विदेशी पर्व वैलेंटाइन डे, पूरे देश में जोर-शोर से मनाया जाता है, लेकिन हिंदुस्तान के सनातन धर्मियों का उत्साह और जोश का पर्व ‘बसंत पंचमी’ देसी वैलेंटाइन डे से कम नहीं है। इसी दिन कामदेव और रति के मिलन का
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Basant Panchami: विदेशी पर्व वैलेंटाइन डे, पूरे देश में जोर-शोर से मनाया जाता है, लेकिन हिंदुस्तान के सनातन धर्मियों का उत्साह और जोश का पर्व ‘बसंत पंचमी’ देसी वैलेंटाइन डे से कम नहीं है। इसी दिन कामदेव और रति के मिलन का प्रेम पर्व भी मनाया जाता है। उनकी पूजा करने का भी विधान है। यही नहीं भगवान शंकर का तिलक भी इसी तिथि पर हुआ था।
शास्त्रों में लिखा है कि बसंत पंचमी पर अपने प्रिय को लाल रंग का फूल देने से प्रेम बढ़ता है। इस तरह यह पावन पर्व मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर ज्ञान-शिक्षा के लिए आशीर्वाद मांगने का तो है ही प्रेमी युगल और दंपतियों के लिए भी खास हो जाता है। माघ के शुक्ल पक्ष का पंचमी तिथि पर भगवान विष्णु का पूजन विधि विधान से किए जाने की परंपरा है। इस तिथि पर मां सरस्वती का जन्म हुआ है। वीणा लिए आशीर्वाद की मुद्रा में मां का रूप पूजनीय है। उनके हाथ में पुस्तक से संसार में शिक्षा का संचार हुआ। शास्त्रों में लिखा है कि ब्रह्मा जी के कहने पर मां सरस्वती ने जब वीणा का वादन किया तो सृष्टि के जीवों को वाणी मिली। वीणा वादिनी मां शारदे का यह आशीर्वाद बसंत पंचमी की ही देन है।
The weather also celebrate this festival of love मौसम भी मनाता है प्रेम का यह पर्व
प्रकृति भी इस पर्व को पूरे जोश में मनाती है। रंग-बिरंगे फूल इस समय खिलते हैं। आम में बौर आते हैं तो खेतों में पीली सरसों धरती पर सुनहली चादर सी बिछा देती है। गेहूं के खेत में बालियां भी अलग झनकार पैदा करती हैं। एक तरह से प्रकृति खिली-खिली प्रेम का पर्व मनाती दिखाई देती है।