Ganesh Visarjan 2021: यहां जानिए गणपति विसर्जन की सही विधि सहित शुभ मुहूर्त

Edited By Updated: 18 Sep, 2021 05:05 PM

ganesh visarjan 2021

जसे कि सब जानते हैं बप्पा के जाने का समय नजदीक आ चुका है। जी हां, हम बात करें अनंत चतुर्दशी की। जिस दिन 10 दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है।

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जसे कि सब जानते हैं बप्पा के जाने का समय नजदीक आ चुका है। जी हां, हम बात करें अनंत चतुर्दशी की। जिस दिन 10 दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है। इस वर्ष की बात करें ये गणेशोत्सव 10 सितंबर को प्रारंभ हुआ था जिसका समापन 19 सितंबर रविवार को हो रहा है। जिसका अर्थात 19 सितंबर को विधि विधान से गणेश विसर्जन किया जाएगा। जिस तरह गणेश उत्सव की शुरुआत धूम धाम से होती है उसी तरह इन्हें विदा भी धूम धाम से किया जाता है। परंतु इस धूम धाम में लोग कई बार विधि विधान को नजरअंदाज कर देते हैं। जो करना अशुभ साबित हो सकता है। इसलिए गणेश विसर्जन के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त व विसर्जन के खास नियम-


लेकिन इससे पहले जानें विसर्जन के शुभ मुहूर्त-
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ- 19 सितंबर 2021 को 05.59 मिनट से हो रहा है 
20 सितंबर 2021 को 05.28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी।
* प्रातः- 07.40 मिनट से दोपहर 12.15 मिनट तक।
* अपराह्न- 01.46 मिनट से 03.18 मिनट तक।
* सायंकाल- 06.21 मिनट से 10.46 मिनट तक।
* रात्रि- 01.43 मिनट से 03.12 मिनट तक।
 
गणपति विसर्जन में रखें ध्यान- 
विसर्जन से पहले बप्पा की चौकी को फूलों और लाल-पीले कपड़े आदि से अच्छी तरह सजाएं. इसके लिए सर्वप्रथम गंगाजल या गौमूत्र से साफ करे लें। 
 
विधि-विधान के साथ गणपति की पूजा-अर्चना करें, उन्हें प्रिय चीज़ों का भोग लगाएं, फिर श्री गणेश का स्वास्तिवाचन करें। 

भगवान गणेश जी की आरती करें और फिर उनसे विदा लेने की प्रार्थना करें। 

घर से गणेश जी की प्रतिमा ले जाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि उनका मुख घर के अंदर की ओर हो न की बाहर की ओर। घर के अंदर की तरफ भगवान की पीठ नहीं होनी चाहिए। 

विर्सजन से पहले घर में स्थापित रहे बप्पा से उस दौरान जाने-अनजाने में हुई भूलों की क्षमा प्रार्थना करें। साथ ही साथ उनसे प्रार्थना करें कि आपके घर में हमेशा सुख-समृद्धि का वास हो तथा आपके संकट और कष्ट दूर हो जाएं।  

विसर्जन करने से पहले एक बार फिर जल या तालाब के पास पहुंच कर गणेश जी की आरती करें, तथा फिर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।

ध्यान रखें कि गणेश जी को जल में प्रवाहित करते समय उनकी प्रतिमा को जल में फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान-सम्मान के साथ जल में छोड़ें। 

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