Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Feb, 2024 08:14 AM
एक समय एक वृद्ध मां रात को 11.30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही थी। घर में दो बहुएं भी थीं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: एक समय एक वृद्ध मां रात को 11.30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही थी। घर में दो बहुएं भी थीं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उलाहना देने को कहती हैं।
बड़ी बहू अपने पति से कहती है, ‘‘अपनी मां को मना करो, इतनी रात को बर्तन धोने से हमारी नींद खराब होती है। साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खटर-पटर शुरू कर देती है। सुबह 5 बजे पूजा-आरती करके हमें सोने नहीं देती, न रात को, न ही सुबह। जाओ सोच क्या रहे हो, जाकर मां को मना करो।’’
बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है। रास्ते में छोटे भाई के कमरे में से भी ऐसी ही बातें सुनाई पड़ती हैं।
वह छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है। छोटा भाई बाहर आता है। दोनों भाई रसोई में जाते हैं और मां को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते हैं, मां मना करती है, पर वे नहीं मानते और बर्तन साफ हो जाने के बाद दोनों भाई मां को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते हैं तो देखते हैं कि पिताजी भी जागे हुए हैं।
दोनों भाई मां को बिस्तर पर बैठा कर कहते हैं, ‘‘मां सुबह जल्दी उठा देना, हमें भी पूजा करनी है और सुबह पिताजी के साथ योग भी करेंगे।’’
मां बोली, ‘‘ठीक है बच्चो।’’
दोनों बेटे सुबह जल्दी उठने लगे, रात को 9.30 पर ही बर्तन मांजने लगे, तो पत्नियां बोलीं, ‘‘माता जी करती तो हैं। आप क्यों कर रहे हो बर्तन साफ।’’
तो बेटे बोले, ‘‘हम लोगों की शादी करने के पीछे एक कारण यह भी था कि मां की सहायता हो जाएगी, पर तुम लोग ये कार्य नही कर रही हो। कोई बात नहीं, हम अपनी मां की सहायता कर देते हैं। हमारी तो मां है, इसमें क्या बुराई है।’’
अगले तीन दिनों में घर में बड़ा बदलाव आ गया। बहुएं जल्दी बर्तन इसलिए साफ करने लगीं कि नहीं तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे।
साथ ही सुबह वे भी पतियों के साथ ही उठने और पूजा-आरती में शामिल होने लगीं। कुछ दिनों में पूरे घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया। बहुएं सास-ससुर को पूरा सम्मान देने लगीं।
कहानी का सार : मां का सम्मान तब कम नहीं होता जब बहुएं उनका सम्मान नहीं करतीं, मां का सम्मान तब कम होता है जब बेटे मां का सम्मान न करें या मां के कार्य में सहयोग न करें। जन्म का रिश्ता है, माता-पिता पहले आपके हैं।