Edited By Prachi Sharma,Updated: 20 May, 2025 06:40 AM
भारत की प्राचीन संस्कृति में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं विशेष तिथियों में से एक है कालाष्टमी, जिसे भगवान कालभैरव की उपासना का दिन माना जाता है। कालभैरव, भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं और उन्हें काल यानी समय का स्वामी भी कहा...
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Kalashtami 2025: भारत की प्राचीन संस्कृति में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं विशेष तिथियों में से एक है कालाष्टमी, जिसे भगवान कालभैरव की उपासना का दिन माना जाता है। कालभैरव, भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं और उन्हें काल यानी समय का स्वामी भी कहा जाता है। ऐसा विश्वास है कि कालाष्टमी के दिन यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक कालभैरव की पूजा की जाए और विशेष मंत्रों का जाप किया जाए, तो जीवन में चल रहे रोग, दोष, भय और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। वर्ष 2025 में कालाष्टमी का व्रत 20 मई, यानि आज मनाई जाएगी। यह दिन भैरव बाबा की आराधना और साधना के लिए अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है। इस तिथि को अष्टमी पड़ने पर रात्रि के समय कालभैरव की उपासना विशेष फलदायक होती है। कालाष्टमी पर किए गए मंत्र जाप विशेष रूप से फलदायक होते हैं।

चमत्कारी मंत्र
ॐ कालभैरवाय नमः
यह भगवान कालभैरव का मूल बीज मंत्र है। इसका जाप करने से भय, चिंता और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह मन को शांति देने वाला और आत्मबल बढ़ाने वाला मंत्र है।
ॐ भ्रं कालभैरवाय नमः फट्
यह मंत्र शत्रु बाधा, तांत्रिक दोष और बुरी नजर से सुरक्षा प्रदान करता है। ‘फट्’ बीज ध्वनि है जो नकारात्मक ऊर्जा को काटती है।
ॐ ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं स्वाहा
यह मंत्र भैरव जी के वटुक स्वरूप का है। इसका जाप संकटों और आपदाओं से रक्षा करता है। यह विशेष रूप से जीवन में चल रही बाधाओं को दूर करता है।
ॐ भयहरणं च भैरव:
यह मंत्र मानसिक भय, आत्मिक चिंता और अनजाने डर से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

काल भैरवाष्टक पाठ
ॐ देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं,
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं,
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं,
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं,
काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं,
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम्।
मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥॥
भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥॥
कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं ते
प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम्॥॥
॥इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम्॥
Importance of chanting mantras on Kalashtami कालाष्टमी पर मंत्र जाप का महत्व
मंत्र एक ऐसी ध्वनि शक्ति होती है, जो न केवल मानसिक स्थिति को संतुलित करती है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को भी जागृत करती है। कालाष्टमी पर किए गए मंत्र जाप विशेष रूप से फलदायक होते हैं।
