Mahakaleshwar Mandir: देश का पहला मंदिर बना महाकालेश्वर, जहां भोग में मिलेगा पौष्टिक श्रीअन्न

Edited By Updated: 31 Oct, 2025 08:44 AM

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Mahakaleshwar Mandir: विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में इस दीपावली से एक नई परंपरा की शुरुआत हुई है। अब बाबा महाकाल को पारंपरिक बेसन के लड्डुओं के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर रागी श्रीअन्न के लड्डुओं का भोग लगाया जा रहा है। भक्तों की...

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Mahakaleshwar Mandir: विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में इस दीपावली से एक नई परंपरा की शुरुआत हुई है। अब बाबा महाकाल को पारंपरिक बेसन के लड्डुओं के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर रागी श्रीअन्न के लड्डुओं का भोग लगाया जा रहा है। भक्तों की सेहत को ध्यान में रखते हुए महाकाल मंदिर समिति ने इसे महाप्रसाद के रूप में शामिल किया है।

इन रागी लड्डुओं की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक हैं। समिति ने यह प्रसाद ‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ के आधार पर भक्तों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। इस पहल से महाकालेश्वर मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर बन गया है, जहां श्रीअन्न रागी से बने प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जा रहा है।

मध्य भारत में रागी को मंडुआ के नाम से जाना जाता है। यह भारतीय पारंपरिक अनाजों में सबसे पौष्टिक माना जाता है, जिसमें कैल्शियम, आयरन और फाइबर की मात्रा गेहूं से कहीं अधिक होती है। आयुर्वेद में भी रागी को शक्ति और शुद्धता का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि अब महाकाल मंदिर ने रागी लड्डू को भोग और प्रसाद दोनों के रूप में शामिल किया है।

दीपावली से एक दिन पहले, अमावस्या की संध्या पर हुए विशेष पूजन के दौरान बाबा महाकाल को पहली बार रागी लड्डू का भोग अर्पित किया गया। इसे पारंपरिक पंचामृत के साथ समर्पित किया गया, जिसके बाद भक्तों को महाप्रसाद स्वरूप वितरित किया गया। इस नई परंपरा की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के हाथों हुई।

भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में ही एक महाप्रसाद काउंटर स्थापित किया गया है, जहां देसी घी, गुड़ और रागी के आटे से बने ये लड्डू उपलब्ध हैं। इनमें किसी भी तरह का कृत्रिम रंग या फ्लेवर इस्तेमाल नहीं किया गया है। हर पैक पर ‘महाकाल प्रसाद-  रागी लड्डू’ की मुहर लगाई गई है।

मंदिर समिति का कहना है कि “महाकाल का प्रसाद केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवनशक्ति देने वाला होना चाहिए।” आने वाले समय में ऐसे ही पारंपरिक और पौष्टिक प्रसादों को भोग में शामिल करने की योजना भी बनाई जा रही है।
 

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