मैरिड कपल इस लत से रहें दूर, वर्ना हो जाएगा Divorce !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Feb, 2022 01:10 PM

married couple and divorce

किसी गांव में एक बुजुर्ग किसान हाथ में माला लिए प्रभु का सिमरन करता रहता था। बेटे-बहुएं, पोते-पोतियां घर में आते-जाते उसको माला पकड़े देखते और समझने की कोशिश करते कि पिता जी जो

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 Inspirational Story: किसी गांव में एक बुजुर्ग किसान हाथ में माला लिए प्रभु का सिमरन करता रहता था। बेटे-बहुएं, पोते-पोतियां घर में आते-जाते उसको माला पकड़े देखते और समझने की कोशिश करते कि पिता जी जो बोलते हैं वह सुनाई देता है पर समझ नहीं आता। वह किसान माला जपते-जपते ‘‘धन जरना, धन जरना’’ का शब्द उच्चारण करता रहता। बेटे-बहुएं तो आदी हो गए थे सुनते-सुनते। पर अब तो पोते-पोतियां बड़े हो गए थे।

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बार-बार पूछते, ‘‘बाबा जी यह क्या हर वक्त धन जरना, धन जरना बोलते रहते हो? हमें इसका मतलब समझाओ और हर वक्त क्यों बोलते रहते हो यह भी बताओ।’’

टालते-टालते एक दिन पोते-पोतियों ने दादा को घेरा डाल दिया और बच्चे बोले, ‘‘आज हम पूछ कर ही छोड़ेंगे।’’

दादा बोले, ‘‘बच्चो जिद न करो। अगर मैंने इसका मतलब और क्यों कहता हूं यह बता दिया तो घर में से एक सदस्य कम हो जाएगा।’’

बच्चे अपनी जिद पर अड़े रहे और बोले, ‘‘हम नहीं जानते कम होता है एक मैम्बर तो हो। हमने पूरी कहानी सुननी है और जानना है कि धन जरना है क्या।’’

बुजुर्ग ने अपने परिवार के सभी सदस्यों को बिठा कर अपनी बात शुरू की।

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‘‘बच्चो, आज से तकरीबन साठ साल पहले मेरी शादी हुई। शादी के चार दिन बाद मैं अपनी पत्नी को लेकर अपने ससुराल जा रहा था। यातायात के साधन न होने के कारण पैदल ही जा रहे थे। रास्ते में रोटी खाने के लिए मेरी मां ने रोटी-सब्जी साथ ही दे दी। सुबह-सवेरे निकल पड़े थे। चलते-चलते जब दोपहर हो गई तो एक वृक्ष के नीचे बैठ कर खाना खाया साथ ही कुआं था। मैं पानी लेने के लिए कुएं के पास पहुंचा तो मेरी पत्नी ने मुझे कुएं में धक्का दे दिया। मैं कुएं में गिर गया। मुझे तैरना आता था तो मैं तैरते-तैरते आवाजें भी देने लगा कि जाने वाले राहियो मुझे बचा लो, मैं कुएं में गिर गया हूं।’’

‘‘तैरते-तैरते मैं थक गया था। अचानक प्रभु कृपा से कुछ राही वहां से गुजर रहे थे। उन्होंने मेरी आवाज सुनी और वृक्षों की टहनियां तोड़ कर उन्हें जोड़ा और कुएं में फैंकीं। वे छ:-सात आदमी थे। उनकी हिम्मत से मैं कुएं से बाहर आ गया। कपड़े सुखाए और रात को अपने ससुराल पहुंचा। ससुराल वालों ने देरी का कारण पूछा तो, मैंने कहा कि रास्ते में एक गांव पड़ता है उस जमींदार से पैसे लेने थे। इसलिए देर हो गई। कुएं वाली घटना के बारे में कुछ नहीं बताया और न ही पूछा कि मेरी पत्नी ने ऐसा क्यों किया।’’

दो-तीन दिन ससुराल में रहने के पश्चात घर को वापसी हुई। उस दिन से आज तक मैंने अपनी पत्नी से कभी नहीं पूछा कि उस दिन ऐसा क्यों किया। न कभी इस बात पर झगड़ा किया। बस सब्र किया जिसको जरना कहते हैं। मैं उस बात को लेकर झगड़ा करता तो मेरा घर टूट जाना था। दोबारा मेरी शादी कहां होनी थी। सभी ने मुझे कसूरवार मानना था।’’

‘‘आज मेरे परिवार की बगिया में सुंदर-सुंदर फूल हैं, बेटे हैं, बहुएं हैं, पोते-पोतियां हैं। मैं बहुत खुश हूं।’’

अंदर बैठी बुजुर्ग किसान की पत्नी सभी बातें सुन रही थी। उसको इतनी ग्लानि हुई कि उसने घड़ा उठाया। पानी भरने के बहाने नदी पर गई और नदी में छलांग मार कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

आज के दौर में सब्र की बहुत कमी है। सब्र न रखने से रिश्तों में दरारें आ रही हैं। किसी की बात सुन कर शांत रहने से समस्याओं के हल निकलते हैं।

आज शादी के 6 महीने, साल बाद ही तलाक की अर्जियां अदालतों में पहुंच रही हैं। कमी सिर्फ इसी बात की है कि जरना नहीं जानते। सब्र का फल हमेशा मीठा ही होता है।

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