Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी

Edited By Updated: 09 May, 2025 02:47 PM

mayureshwar ganesh mandir

Mayureshwar Ganesh Mandir: 'मोरेश्वर' भगवान गणेश के अष्टविनायक मंदिरों में से एक है। ये मंदिर महाराष्ट्र के मोरगांव में करहा नदी के किनारे बसा है।  मोरगांव का मयूरेश्वर मंदिर अष्टविनायक के आठ प्रमुख मंदिरों में से एक है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mayureshwar Ganesh Mandir: 'मोरेश्वर' भगवान गणेश के अष्टविनायक मंदिरों में से एक है। ये मंदिर महाराष्ट्र के मोरगांव में करहा नदी के किनारे बसा है।  मोरगांव का मयूरेश्वर मंदिर अष्टविनायक के आठ प्रमुख मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि यहां पहले गणपति जी के मूर्ति छोटी थी, लेकिन अगर अब देखे तो ये मूर्ति बड़ी दिखाई देती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने श्रीगणेश के हर युग के अवतार की भविष्यवाणी की थी, मयूरेश्वर भगवान गणेश जी का त्रेतायुग का अवतार है। इस अवतार में भगवान का वाहन मोर था इसलिए इस मूर्ति को मयूरेश्वर के नाम से जाना जाता है।  इस जगह का नाम मोरगांव इसलिए पड़ा क्योंकि एक समय पर ये क्षेत्र मोर के जैसा आकार लिए हुए था। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि एक समय पर इस क्षेत्र में बडी संख्या में मोर पाए जाते थे। इसी कारण से ये जगह मोरगांव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

PunjabKesari Mayureshwar Ganesh Mandir

इस मंदिर के चारों कोनों में मीनारें और लंबे पत्थरों की दीवारें हैं। मंदिर के चार द्वार हैं जिन्हें चारों युग, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग का प्रतीक माना जाता है। पूर्वी द्वार पर राम और सीता की छवि जो कि धर्म, कर्तव्य की प्रतीक मानी जाती है, दक्षिणी द्वार पर शिव-पार्वती की मूर्ति जो कि धन और प्रसिद्धि की प्रतीक मानी जाती है, पश्चिमी द्वार पर कामदेव-रति जो कि इच्छा, प्यार और ख़ुशी के प्रतीक माने जाते हैं और उत्तरी द्वार पर वराह और देवी माही जो कि मोक्ष और शनि ब्रह्म के प्रतीक के रूप में माने जाते हैं।

PunjabKesari Mayureshwar Ganesh Mandir

मयूरेश्वर मंदिर से जुड़ी कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सभी देवताओं को दैत्यराज सिंधु के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान गणेश ने मयूरेश्वर का अवतार लिया था। तो वहीं एक पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर के बारें में कहा जाता है कि भगवान शिव और नंदी इस मंदिर क्षेत्र में विश्राम के लिए रुके थे। नंदी को ये स्थान इतना भाया कि उन्होंने यहां से जाने से मना कर दिया और यहीं ठहर गए, तबसे उनकी प्रतिमा यही स्थापित है। शिव के नंदी और गणपति के मूषक, दोनों ही मंदिर के रक्षक के रूप में यहां उपस्थित हैं। मंदिर में गणेशजी बैठी मुद्रा में विराजमान हैं। कहा जाता है कि प्रारंभ में ये मूर्ति आकार में छोटी थी, परंतु दशकों से इस पर सिन्दूर लगाने के कारण यह अब इतनी बड़ी दिखती है। ऐसी भी मान्यता है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मूर्ति को दो बार पवित्र किया है जिसने यह अविनाशी हो गई है। ये क्षेत्र भूस्वानंद के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है- "सुख समृद्ध भूमि" यहां गणेश चतुर्थी को गणेश जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

PunjabKesari Mayureshwar Ganesh Mandir

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!