Edited By Jyoti,Updated: 03 May, 2022 12:46 PM

एक राज्य में महान योद्धा रहता था, जोकि कभी किसी से नहीं हारा था। वह बूढ़ा हो चला था लेकिन तब भी किसी को हराने की हिम्मत रखता था। एक दिन उसे चुनौती देने के लिए एक युवक उसके गांव आया
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एक राज्य में महान योद्धा रहता था, जोकि कभी किसी से नहीं हारा था। वह बूढ़ा हो चला था लेकिन तब भी किसी को हराने की हिम्मत रखता था। एक दिन उसे चुनौती देने के लिए एक युवक उसके गांव आया। ताकतवर होने के साथ ही वह दुश्मन की कमजोरी पहचानने और उसका फायदा उठाने में दक्ष था।
अपने शुभचिंतकों और शिष्यों की चिंता और सलाह को नजरअंदाज करते हुए बूढ़े योद्धा ने युवा लड़ाके की चुनौती कबूल की। जब दोनों आमने-सामने आए तो युवा लड़ाके ने महान योद्धा को अपमानित करना शुरू किया। उसने बूढ़े योद्धा के ऊपर रेत-मिट्टी फैंकी तथा गालियां देता रहा। जितने तरीके से संभव था, उतने तरीके से उसे अपमानित किया। लेकिन बूढ़ा योद्धा शांतचित, एकाग्र और अडिग रहा और उसके प्रत्येक क्रिया-कलाप को पैनी नजरों से देखता रहा। युवा लड़ाका थकने लगा। अंतत: अपनी हार सामने देखकर बिना लड़े वह भाग खड़ा हुआ।
बूढ़े योद्धा के कुछ शिष्य इस बात से नाराज और निराश हुए कि उनके गुरु ने बदतमीज युवा लड़ाके से युद्ध नहीं किया। उसे सबक नहीं सिखाया। शिष्यों ने गुरु को घेर लिया और सवाल किया, ‘‘आप इतना अपमान कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? आपने उसे भाग जाने का मौका कैसे दे दिया?’’
महान योद्धा ने जवाब दिया, ‘‘ यदि कोई व्यक्ति आपके लिए कुछ उपहार लाए लेकिन आप लेने से इंकार कर दें, तब यह उपहार किसके पास रह गया? देने वाले के पास ही न। इसी प्रकार साधना में भी कई प्रकार की बाधाएं आएंगी, उनसे लड़ने में अपनी शक्ति न गवाएं बल्कि कुछ समय मौन रहें, सहज होने की कोशिश रखें। थोड़े ही समय बाद आप उन परिस्थितियों से आगे निकल जाएंगे और हमेशा विजयी ही रहेंगे। अगर परिस्थितिवश कभी लड़ना भी पड़े तो अंदर से शांत रहते हुए लड़ो।