Motivational Concept- एक दूसरे के प्रति होनी चाहिए ‘सेवा’ की भावना

Edited By Updated: 08 Oct, 2022 05:39 PM

motivational concept in hindi

पंजाब में लालचंद नामक एक नेक समाज सुधारक थे। उनके पास पुस्तकों का विशाल भंडार था। उनकी लाइब्रेरी बहुत ही समृद्ध थी। लोग उन्हें राय साहब के नाम से जानते थे। एक बार उन्हें पता चला कि देहरादून के प्रसिद्ध कन्या गुरुकुल में छात्राओं के बौद्धिक विका

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पंजाब में लालचंद नामक एक नेक समाज सुधारक थे। उनके पास पुस्तकों का विशाल भंडार था। उनकी लाइब्रेरी बहुत ही समृद्ध थी। लोग उन्हें राय साहब के नाम से जानते थे। एक बार उन्हें पता चला कि देहरादून के प्रसिद्ध कन्या गुरुकुल में छात्राओं के बौद्धिक विकास के लिए अनेक तरह के आयोजन किए जाते हैं। उन्होंने सोचा कि क्यों न वह अपने पुस्तकों का भंडार गुरुकुल को सौंप दें। इससे कन्याओं का भला होगा। उन्होंने गुरुकुल के प्रमुख को पुस्तकें ले जाने के संदर्भ में एक पत्र लिखा। पत्र पढ़कर गुरुकुल के प्रमुख ने स्वयं राय साहब के पास जाने का निश्चय किया। राय साहब के घर पहुंच कर उन्होंने दो-तीन बार दरवाजा खटखटाया लेकिन हर ओर सन्नाटा छाया हुआ था।

उन्होंने दरवाजे को हाथ लगाया तो वह खुल गया। अंदर पहुंच कर उन्होंने देखा कि एक वृद्ध बीमार व्यक्ति पलंग पर लेटा हुआ है और दूसरा वृद्ध सेवक उनके पैर दबा रहा है।

गुरुकुल प्रमुख ने वृद्ध सेवक से पूछा, ‘‘राय साहब सो रहे हैं क्या?’’

पैर दबाने वाला व्यक्ति बोला, ‘‘कहिए क्या बात है?’’

गुरुकुल प्रमुख बोले, ‘‘राय साहब ने अपनी पुस्तकें हमारे गुरुकुल को दान करने के लिए हमें पत्र लिखा है। मैं गुरुकुल का प्रमुख हूं।’’

प्रमुख का परिचय जानकर वृद्ध व्यक्ति बोले, ‘‘आईए मैं ही लालचंद हूं।’’

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वृद्ध सेवक जैसे लगने वाले व्यक्ति का परिचय जानकर गुरुकुल प्रमुख दंग रह गए। वह हैरानी से बोले, ‘‘जिनके आप पैर दबा रहे थे वह कौन हैं?’’

राय साहब बोले, ‘‘वह मेरा सेवक है। दो दिन से बीमार है।’’

यह जानकर गुरुकुल प्रमुख बुरी तरह चौंक गए और बोले, ‘‘अरे तो आप अपने सेवक के पैर दबा रहे थे?’’

राय साहब बोले, ‘‘तो क्या हुआ? वह पिछले 41 वर्षों से मेरे साथ है। वह हमेशा मेरी सेवा करता आया है। किसी कारणवश यदि आज वह अस्वस्थ है तो क्या मैं एक दिन भी उसकी सेवा नहीं कर सकता? 

सेवक हो या मालिक लेकिन है तो मनुष्य ही। एक मनुष्य होने के नाते मैं बुरे वक्त में दूसरे मनुष्य को कैसे छोड़ दूं?’’

यह सुनकर गुरुकुल प्रमुख उनके प्रति नतमस्तक हो गए। वह समझ गए कि जीवन में एक-दूसरे के प्रति सेवा की भावना ही हमें ऊंचा उठाती है?

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