Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Jun, 2025 12:55 PM

Motivational Story: एक युवक समाज से दुखी होकर एक संत के पास पहुंचा। अपना समय वह भगवान के भजन-पूजन में लगाना चाहता था। संत ने कहा, “ठीक है, तुम स्नान करके आ जाओ।”
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Motivational Story: एक युवक समाज से दुखी होकर एक संत के पास पहुंचा। अपना समय वह भगवान के भजन-पूजन में लगाना चाहता था। संत ने कहा, “ठीक है, तुम स्नान करके आ जाओ।”
जब युवक स्नान करने गया तो संत ने आश्रम के पास झाड़ू देने वाली को बुलाया और कहा, “यह युवक जब स्नान करके लौटे तब तुम इस तरह झाड़ू लगाना कि उस पर धूल उड़कर आए। लेकिन जरा सावधान रहना वह मारने दौड़ सकता है।”
जब युवक लौटा तो वह स्त्री जान-बूझकर जोर-जोर से झाड़ू लगाने लगी और धूल उड़कर युवक पर आने लगी। उसने गुस्से में आकर पत्थर उठाया और उसे मारने को झपटा। वह स्त्री सावधान थी, झाड़ू फैंककर भाग गई। युवक काफी देर तक उसे भला-बुरा कहता रहा। जब वह साधु के पास पहुंचा तो साधु ने उसे शिष्य बनाने से इंकार कर दिया और एक वर्ष बाद बुलाया।

एक वर्ष बाद जब वह वापस लौटा तब भी वही घटनाएं घटीं। इस बार युवक को गुस्सा तो बहुत आया, मगर सिर्फ कुछ कठोर बातें कहकर वह फिर स्नान करने चला गया। जब वह संत के पास पहुंचा तो वे बोले, “अभी तुम जानवरों की तरह गुर्राते हो, एक वर्ष और नाम-जाप करो तब आना।”
एक वर्ष बाद युवक फिर संत के पास आया। पहले की तरह उसे स्नान का आदेश मिला और उधर झाड़ू देने वाली को आदेश मिला कि इस बार कूड़े की टोकरी उलट देना उस पर। लेकिन इस बार कूड़ा डालने पर युवक न केवल शांत रहा, बल्कि झाड़ू देने वाली के पैरों पर गिर पड़ा और बोला, “हे देवी! तुम मेरी गुरु हो। तुम्हारी कृपा से मैं अहंकार और क्रोध को जीत सका।” इसके बाद जब वह युवक संत के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे हृदय से लगा लिया और कहा-तुम अब भजन के अधिकारी हो गए हो।
