Muni Shri Tarun Sagar- अगर नरक की सीढ़ियां तुम्हारे घर से होकर गुजरती हैं तो...

Edited By Updated: 02 Jun, 2021 12:00 PM

muni shri tarun sagar

कड़वे प्रवचन... लेकिन सच्चे बोल किच-किच का कचरा मत खिलाना माताओं से : जब तुम्हारा पति शाम को घर लौटे और भोजन करने बैठे तो उसे केवल भोजन कराना, दिन भर की किच-किच का कचरा मत

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

कड़वे प्रवचन... लेकिन सच्चे बोल
किच-किच का कचरा मत खिलाना

माताओं से : जब तुम्हारा पति शाम को घर लौटे और भोजन करने बैठे तो उसे केवल भोजन कराना, दिन भर की किच-किच का कचरा मत खिलाना। महिलाओं में एक बुरी आदत होती है कि वे पति को भोजन कराते-कराते वह भी करा देती हैं जिससे परेशान पति की परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं। रोटी तो 2 परोसेंगी पर चिंताएं 200 परोस देंगी। देवियो, पतियों पर रहम खाओ, उन्हें रोटी खिलाओ, उनका सुकून मत खाओ।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
जीते जी भोग सकते हो स्वर्ग-नरक
मन की शांति ही स्वर्ग है। स्वर्ग-नरक मरने के बाद ही मिलते हों-ऐसा नहीं है। जीते जी भी उन्हें भोगा और देखा जा सकता है। सुख और शांति को किसी मंदिर-मस्जिद में ढूंढने की जगह अपने ही घर में ढूंढिए। अगर नरक की सीढिय़ां तुम्हारे घर से होकर गुजरती हैं तो स्वर्ग की सीढिय़ां भी वहीं कहीं से गुजरेंगी।

समय लौट कर नहीं आता
समय कभी बूढ़ा नहीं होता। समय के चेहरे पर न तो कभी झुर्रियां पड़ती हैं और न ही सुस्ती आती है। उल्टे उसके चेहरे पर दिन-ब-दिन निखार आता जाता है। समय अगर बूढ़ा होता तो कब से उसके पांव कब्र में लटक गए होते। समय कभी नहीं बुढ़ाता। हां, वह औरों को जरूर बूढ़ा कर देता है। समय बहुमूल्य है, इसे व्यर्थ मत गंवाइए। जो समय एक बार हाथ से निकल जाता है, वह दोबारा लौटकर नहीं आता। समय की पूजा करें, समय आपको पूज्य बना देगा। तुम कहते हो, ‘‘क्या करूं, समय काट रहा हूं।’’ मैं कहता हूं ‘‘तुम क्या समय को काटोगे, समय ही तुम्हारी जिंदगी का हर-पल काट रहा है।’’
PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
आप क्या हैं?
जो न खुद खाता है, न दूसरों को खिलाता है वह ‘मक्खीचूस’ है। जो खुद तो खाता है मगर दूसरों को नहीं खिलाता, वह ‘कंजूस’ है। जो स्वयं भी खाता है, अतिथि को भी खिलाता है वह ‘उदार’ है तथा जो स्वयं न खाकर किसी भूखे को खिला देता है वह ‘दाता’ है। आप क्या हैं? जिंदगी की वैतरणी पार करनी है तो वितरण करना सीखें। खुद खाना तन का सुख है, दूसरों को खिलाना मन का सुख है।

चादर जितनी बड़ी पैर उतने ही फैलाओ
दिगम्बर मुनि का कमंडल भूमंडल का सबसे बड़ा अर्थशास्त्र है। अर्थशास्त्र के मुताबिक जितना व्यय हो, आय उससे अधिक होनी चाहिए। कमंडल में दो मुख होते हैं। एक बड़ा, जिससे कमंडल में जल भरा जाता है। दूसरा छोटा, जिससे जल निकाला जाता है। कमंडल के दोनों मुख आय-व्यय के सिद्धांत को दर्शाते हैं। ‘आमदनी अठन्नी की, खर्चा रुपैया का’ होगा तो क्या होगा? चादर जितनी बड़ी हो पैर उतने ही फैलाने चाहिएं। समझदारी इसी में है। इतना दान मत करो कि किराए के मकान में रहना पड़े। इतना संग्रह भी मत करो कि नरक में जाना पड़े।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!