Muni Shri Tarun Sagar: दुनिया क्या कहती है, इसकी चिंता मत करो

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Feb, 2023 07:36 AM

muni shri tarun sagar

बाप या नौकर घर में बेटा पैदा हुआ, मां-बाप खुश हुए। बेटा चलने लगा, मां-बाप खुश हुए। बेटा स्कूल-कालेज जाने लगा

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बाप या नौकर
घर में बेटा पैदा हुआ, मां-बाप खुश हुए। बेटा चलने लगा, मां-बाप खुश हुए। बेटा स्कूल-कालेज जाने लगा, मां-बाप खुश हुए। बेटे की शादी हुई, घर में बहू आई। मां-बाप खुश हुए। बेटा लड़-झगड़ कर अलग हो गया। बेटा गांव से शहर चला गया। एक दिन बेटे के बेटा हुआ।

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समस्या आ खड़ी हुई है। पति-पत्नी दोनों नौकरी पर जाते हैं। बच्चे को कौन संभाले।

पति बोला, ‘‘एक आया रख लेते हैं।’’

बोली, ‘‘नहीं एक नौकर रख लेते हैं।’’

तभी पति बोला, ‘‘क्यों न गांव से बाबू जी को बुलवा लें ?’’

सच यह है कि नौकर की जरूरत पड़ती है तो बाप याद आता है। दरअसल, बाप से भरोसेमंद नौकर और कहां मिलेगा।

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विचारों को छानना जरूरी
मन के विचार आदमी की सबसे बड़ी पूंजी है। विचार ही हैं जो आदमी को ऊंचा उठाते हैं और नीचे गिराते हैं। विचार बदलता है तो उच्चार बदल जाता है और उच्चार बदलता है तो आचार बदल जाता है। दुनिया में जितने भी विचार हैं, वे सब सापेक्ष हैं। इसलिए विचारों का आग्रह मत रखो। किसी भी विचार को गलत कहने से पहले 10 बार नहीं सौ बार सोचना चाहिए। पेट में क्या डालना है? आदमी सोचता है, मगर मस्तिष्क में क्या डालना है यह नहीं सोचता। जो गंदे, मैले, अशुभ विचार आते हैं, सब डालता जाता है। भैया! दिमाग कोई म्युनिसीपैल्टी का कचरे का डिब्बा तो नहीं है कि जो आए वो डाल दें। मस्तिष्क में विचार डालने से पहले विचारों को छानना जरूरी है।

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अमृत है शाकाहार
सिर्फ आहार नहीं, सेहत भी है। सिर्फ भोजन नहीं, अमृत भी है। भोजन स्वाद के लिए न करें वरन् स्वाद लेकर खाएं। भोजन खाने के लिए न जिएं वरन् जीने के लिए खाएं। जीभ जो मांगे वह न दें, पेट जो मांगे वह दें। आज हम अज्ञान खा रहे हैं, असत्य ओढ़ रहे हैं। असंतोष पहन रहे हैं, आइए हम सच के प्याले में विवेक रखें, उसमें श्रद्धा व विश्वास मिलाएं, आदर की कड़ाही में उत्साह से गरम करें, विचार की चम्मच से हिलाकर, धैर्य के प्याले में ठंडा करें और संतुष्टि से सजाकर आभार के साथ परोसें।

किसी ने पूछा, ‘‘आज का सबसे बड़ा रोग?’’ मैंने कहा, ‘‘क्या कहेंगे लोग ? लोग क्या कहेंगे, यह इस युग की सबसे बड़ी बीमारी है। लोग क्या कहेंगे-यह सोच कर आदमी कुछ नहीं करता। न हंसता है न रोता है।

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कुछ करता है, तो भी यही सोचकर कि वरना लोग क्या कहेंगे और तुम्हें पता होना चाहिए दुनिया तो यों भी कहेगी और त्यों भी कहेगी। तुम नीचे देख कर चलोगे तो कहेगी- अब तो किसी के सामने देखता तक नहीं है। ऊपर देख कर चलोगे तो कहेगी- कैसी अकड़ में चलता है। चारों ओर देख कर चलोगे तो कहेगी इसकी आंखों का कोई ठिकाना नहीं है।

बंद करके बैठोगे तो कहेगी बड़ा ध्यानी बन रहा है, बगुला-भगत। आंख फोड़ लोगे तो कहेगी- किया है तो भुगतो। दुनिया क्या कहती है- इसकी चिंता मत करो।

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