Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jul, 2023 08:01 AM
सुखी जीवन का राज प्रश्र पूछा है- सुखी जीवन का राज क्या है ? सुखी जीवन का राज है कि हर
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सुखी जीवन का राज
प्रश्र पूछा है- सुखी जीवन का राज क्या है ? सुखी जीवन का राज है कि हर दिन इस तरह बिताओ कि रात चैन की नींद सो सको, हर रात इस तरह गुजारो कि सुबह किसी को मुंह दिखाने में न शरमाओ। जवानी को इस तरह जीओ कि बुढ़ापे में पछताना न पड़े और बुढ़ापे को इस तरह बनाओ कि किसी के सामने हाथ फैलाने न पड़ें।
पुण्य और परम पुण्य
हंसना पुण्य है। हंसाना परम पुण्य है। जब आप हंसते हैं तो ईश्वर के लिए प्रार्थना करते हैं, मगर जब आप किसी रोते को हंसाते हैं तो ईश्वर आपके लिए प्रार्थना करता है। रोने में तो फिर भी आंसू लगते हैं, हंसने में तो वे भी नहीं लगते। फिर क्यों नहीं हंसते ? हम हंसें, लेकिन हमारी हंसी मामा शकुनि की तरह कपटपूर्ण न हो बल्कि शिशु और संत की तरह निश्छल/निष्पाप हो।
मौत पूछ कर नहीं आती
वैसे सही मायने में दो ही लोग हंसते हैं- एक तो पागल और दो परमहंस। बाकी लोग या तो रोते हैं या फिर हंसने का ढोंग करते हैं।
आदमी से कहो : भाई ! धर्म-ध्यान किया कर तो आदमी कहता है- दिल तो बहुत करता है पर क्या करूं ? फुर्सत नहीं मिलती। अरे पगले ! तो क्या मरने के बाद फुर्सत मिलेगी ? तुझे पता होना चाहिए कि जो समय तू भक्ति के लिए निकाल रहा है, वही अंतिम समय में तेरे काम आएगा। यह तो अच्छा हुआ कि मौत पूछकर नहीं आती, वरना आदमी उससे भी कह दे कि अभी फुर्सत नहीं है।
प्रभु की रजा में राजी रहें
जो मिला, जैसा मिला, इसके लिए कोई शिकायत न करें और अगर मनपसंद मिल गया तो गुमान न करें। हर घटना को प्रभु का प्रसाद मानें और उसकी रजा में राजी रहें। जो जिंदगी के विषाद को भी प्रभु का प्रसाद मानकर चलता है उसके लिए विषाद भी आशीर्वाद बन जाया करता है। प्रभु से इस बात की शिकायत न करो कि तुम्हें औरों से कम मिला है, बल्कि इस बात के लिए धन्यवाद दो कि उसने तुम्हें तुम्हारी पात्रता से ज्यादा दिया है।