Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Sep, 2023 11:02 AM

पानी के बिना नदी बेकार है। अतिथि के बिना आंगन बेकार है, स्नेह न हो तो सगे-संबंधी बेकार हैं। पैसा न हो तो जेब बेकार है और जीवन में सद्गुरु न हो तो
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सद्गुरु शिल्पी हैं
पानी के बिना नदी बेकार है। अतिथि के बिना आंगन बेकार है, स्नेह न हो तो सगे-संबंधी बेकार हैं। पैसा न हो तो जेब बेकार है और जीवन में सद्गुरु न हो तो जीवन बेकार है। जीवन में एक गुरु जरूरी है, गुरु नहीं तो जीवन शुरू नहीं।
सड़क पर चलते हैं तो पड़े पत्थर को हर कोई पैर से ठोकर मारता है। मगर वही पत्थर शिल्पी के हाथ में आ जाता है तो मूर्ति बन जाता है। सद्गुरु शिल्पी हैं, वही नर को नारायण बनाते हैं।
निठल्ला जल्दी बूढ़ा होता
खाली मत बैठिए। अपने मन और तन को किसी नेक कार्य में लगा कर रखिए। निठल्ला बैठा आदमी जल्दी बूढ़ा होता है।
जब आदमी थक कर बैठ जाता है तो बीमारी उस पर बैठ जाती है और फिर वह आदमी किसी काम का नहीं रहता।
थककर बैठ जाने से तो इंसान की किस्मत भी बैठ जाती है।

सेवानिवृत्ति होने के बाद भी सेवा कार्य में लगे रहिए। बीते कल को याद कर पछताते न रहिए और न ही भविष्य की आशंका की छाया भूत से डरिए, बल्कि सुबह जब सोकर उठो तो हिम्मत से उठिए और सोचिए ‘आज’ ही ‘सत्य’ है।
