Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Aug, 2025 08:41 AM

Mystery of Nidhivan: भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जो अपने दामन में कई रहस्य समेटे हुए हैं। उनमें से ऐसा ही एक स्थान है उत्तर प्रदेश का वृंदावन स्थित निधि वन, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं।
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Mystery of Nidhivan: भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जो अपने दामन में कई रहस्य समेटे हुए हैं। उनमें से ऐसा ही एक स्थान है उत्तर प्रदेश का वृंदावन स्थित निधि वन, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं।
यही कारण है कि सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता, यहां तक कि निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते हैं।

What happens at night in Nidhivan जो भी देखता है रासलीला हो जाता है पागल
वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहां से चले जाते हैं लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है।

ऐसा ही एक वाक्या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था, जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रासलीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वह बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे कई किस्से यहां के लोग बताते हैं।

Nidhivan at night रंगमहल में सजती है सेज
निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ जिसके बारे में मान्यता है कि रोज रात यहां पर राधा और कन्हैया आते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन के पलंग को शाम सात बजे से पहले सजा दिया जाता है।

पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधा जी के शृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटा पानी से खाली, दातुन कुचली हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंग महल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते हैं और प्रसाद स्वरूप उन्हें भी शृंगार का ही सामान मिलता है।

Nidhivan vrindavan story तुलसी के पेड़ बनते हैं गोपियां
निधि वन की एक अन्य खासियत यहां के तुलसी के पेड़ हैं। निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं, तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाते हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाते हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता। लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गए वे किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता।
True story of Nidhivan मकानों में नहीं हैं खिड़कियां
वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम 7 बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गए या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई।
