Narada Jayanti: नारद जयंती की रात 3 से 4 बजे के बीच होगी नाद योग की अनुभूति, जानें कैसे ?

Edited By Updated: 13 May, 2025 08:27 AM

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Narada Jayanti 2025: नारद मुनि सिर्फ देवताओं के संदेशवाहक नहीं थे बल्कि वे कथाशास्त्र, संगीत, योग और भक्ति मार्ग के ऐसे प्रथम प्रचारक थे जिन्होंने संवाद को अध्यात्म में एक विधा के रूप में प्रतिष्ठा दी। नारद योगी नहीं, अनुग्रही थे। नारद मुनि ने वीणा...

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Narada Jayanti 2025: नारद मुनि सिर्फ देवताओं के संदेशवाहक नहीं थे बल्कि वे कथाशास्त्र, संगीत, योग और भक्ति मार्ग के ऐसे प्रथम प्रचारक थे जिन्होंने संवाद को अध्यात्म में एक विधा के रूप में प्रतिष्ठा दी। नारद योगी नहीं, अनुग्रही थे। नारद मुनि ने वीणा को केवल वाद्य नहीं, बल्कि ध्वनि की साक्षात आराधना माना। उनका नाम 'नारद' स्वयं दो शब्दों से बना है नार (जल, ज्ञान) और 'द' (देने वाला) यानी जो भावों में डूबा कर ज्ञान देता है। महाभारत और नारद पुराण के अनुसार, नारद योग या तप से नहीं, ईश्वर की अनुग्रह शक्ति से ब्रह्मज्ञानी बने। उन्हें अपने पूर्व जन्म में एक दासीपुत्र के रूप में हरि-भक्तों की सेवा का पुण्य मिला था।

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वेदों में नारद को शब्द के माध्यम से चेतना को जागृत करने वाला कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार, नारदः संवादधारीः अर्थात नारद वही हैं, जो संवाद को साधना बनाते हैं।

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नारद वाणी का रहस्य ऋग्वेद और ब्रह्मवैवर्त पुराण में संकेत मिलता है कि नारद की वाणी में त्रिगुणों (सत्त्व, रज, तम) के अनुरूप तीन स्तर की ध्वनियां होती थीं। जिससे वे हर प्राणी के अनुसार संवाद करते थे। यही कारण है कि वे स्वर्ग, पाताल और मृत्यु लोक तीनों में सुने जाते हैं। नारद मुनि गुप्त शास्त्रों के रचयिता थे। कुछ कम प्रसिद्ध 'गंधर्व तंत्र' और 'संगीत शास्त्र संहिता' में उल्लेख है कि नारद ने ध्वनि तंत्र (Sonic Doctrine) नामक एक रहस्यमय ग्रंथ की रचना की थी, जो अब लुप्त है। माना जाता है कि उसमें मंत्र, राग और मन के संयोग से ईश्वर साक्षात्कार की विधि बताई गई थी।

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नारद जयंती का रहस्यात्मक पक्ष यह है की नारद जयंती को केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि वाणी-शुद्धि साधना के लिए उपयुक्त दिन माना गया है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति "ॐ नारदाय नमः" का 108 बार जाप करता है, तो उसे शब्द की शक्ति पर आत्मनिष्ठ अनुभव होता है। गुप्त परंपरा की मान्यता और तंत्रशास्त्र की कुछ परंपराओं के अनुसार नारद जयंती पर रात के तीसरे प्रहर (रात्रि 3 से 4 बजे के बीच) में ध्यान करने से नाद योग (inner sound meditation) की अनुभूति सहज होती है।

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