Navratri 1st Day: घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए आज इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा

Edited By Updated: 09 Apr, 2024 07:55 AM

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आज 9 अप्रैल से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने जा रहा है। नौ दिवसीय पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार ये हिमालय राज की पुत्री हैं इसीलिए उन्हें शैलपुत्री

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Navratri 1st Day: आज 9 अप्रैल से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने जा रहा है। नौ दिवसीय पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार ये हिमालय राज की पुत्री हैं इसीलिए उन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। इनका स्वरूप बहुत ही मनमोहना और सुन्दर है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से दुःख-दरिद्रता का नाश होता है और खुशनुमा जीवन की शुरुआत होती है। मां का ये स्वरूप चंद्रमा को दर्शाता है। इस वजह से आज के दिन के इनकी पूजा करने से कुंडली में चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है। व्रत और पूजा-पाठ के साथ-साथ यदि इस दिन कुछ खास उपाय कर लिए जाए तो जीवन में खुशियों की बौछार छा जाती है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं आज के दिन कौन से उपाय करने से मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त हो सकती है।

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Offer this Prasad to Mother Shailputri मां शैलपुत्री को अर्पित करें ये प्रसाद
आज के दिन मां शैलपुत्री के चरणों में गौघृत यानी गाय का घी अर्पित करना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसका तन और मन दोनों स्वस्थ रहता है। इसी के साथ आज के दिन गाय का अखंड दीपक भी जलाना चाहिए।

मां को सफ़ेद रंग की वस्तुओं बेहद ही पसंद हैं। इसलिए उन्हें आज के दिन फेद या लाल रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए साथ में उन्हें गाय के दूध से बने पकवान का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं।

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Maa Shailputri Devi Kavach मां शैलपुत्री देवी कवच

ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।


इस कवच का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और साथ में अनचाहे शत्रुओं से भी निजात मिलता है।

Shailputri Devi Stotra recitation शैलपुत्री देवी स्तोत्र पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

 
शैलपुत्री देवी स्तोत्र पाठ जीवन से दुखों को दूर करने का काम करता हैं। इसी के साथ जो व्यक्ति आज के दिन इसका पाठ करता है उसके जीवन से बीमारियां बहुत दूर चली जाती हैं।

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