प्रेमानंद महाराज से जानें, क्या है चलते-फिरते मंत्र जाप का सही तरीका ?

Edited By Updated: 23 Feb, 2025 07:56 AM

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मंत्र जप एक अत्यंत प्रभावशाली और पुरानी भारतीय साधना विधि है, जो व्यक्ति के आत्मा की उन्नति और मानसिक शांति के लिए की जाती है। इसके माध्यम से हम अपने भीतर के सकारात्मक ऊर्जा को जाग्रत करते हैं

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Premanand Ji Maharaj: मंत्र जप एक अत्यंत प्रभावशाली और पुरानी भारतीय साधना विधि है, जो व्यक्ति के आत्मा की उन्नति और मानसिक शांति के लिए की जाती है। इसके माध्यम से हम अपने भीतर के सकारात्मक ऊर्जा को जाग्रत करते हैं और भगवान के साथ एक अदृश्य संबंध स्थापित करते हैं। आमतौर पर मंत्र जप बैठकर, शांत वातावरण में किया जाता है, ताकि ध्यान केंद्रित किया जा सके और मानसिक शांति प्राप्त की जा सके। लेकिन कई लोग चलने-फिरने के दौरान भी मंत्र जप करने का प्रयास करते हैं, ताकि उनकी साधना निरंतर बनी रहे। क्या चलते-फिरते मंत्र जप करना सही है या नहीं ? इस सवाल का उत्तर जानने के लिए हम प्रेमानंद महाराज के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करेंगे। 

चलते-फिरते मंत्र जप:
मंत्र जप का उद्देश्य केवल शब्दों का उच्चारण करना नहीं होता बल्कि इसका उद्देश्य मानसिक ध्यान और आत्मिक शांति की ओर बढ़ना होता है। मंत्र जप को एक आध्यात्मिक साधना माना जाता है, जो व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उसके जीवन में संतुलन और सुख-शांति लाता है। हालांकि यह सही है कि पारंपरिक रूप से मंत्र जप को शांति से बैठकर किया जाता है लेकिन कई साधक इसे चलते-फिरते भी करते हैं।

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प्रेमानंद महाराज के अनुसार, यदि व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त रहते हुए मंत्र जप करता है, तो उसका उद्देश्य केवल मानसिक साधना और ध्यान में नहीं रहता। जब हम चलते-फिरते मंत्र जप करते हैं, तो हमारा ध्यान और समर्पण भी उस रूप में सशक्त नहीं हो पाता, जैसा कि हम शांति से बैठकर करते हैं। इसलिए, प्रेमानंद महाराज का यह मानना है कि जब तक आप पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते, तब तक चलते-फिरते मंत्र जप करना कम प्रभावी हो सकता है। यदि आप चलते-फिरते जाप भी करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपका मन भगवान की तरफ हो। 

 क्या चलते-फिरते मंत्र जप से लाभ होता है ?
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि चलते-फिरते मंत्र जप करने का एक फायदा यह हो सकता है कि यह व्यक्ति के दिनचर्या के साथ जुड़कर उसे निरंतर आध्यात्मिक रूप से सक्रिय रखता है। यदि किसी कारणवश व्यक्ति को बैठकर मंत्र जप का समय नहीं मिल पाता, तो चलते-फिरते भी मंत्र का उच्चारण करना उसकी साधना को जारी रखने का एक तरीका हो सकता है। यह व्यक्ति को भगवान से जुड़े रहने का एहसास देता है और उसे निरंतर आध्यात्मिक रूप से जागरूक रखता है।

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प्रेमानंद महाराज का यह विचार बहुत गहरा और अर्थपूर्ण है। ईश्वर के नाम का जाप मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक शक्तिशाली साधन है। जब हम लगातार राधा-राधा, कृष्ण-कृष्ण, या राम-राम का जाप करते हैं, तो न केवल हमारे मस्तिष्क में शांति बनी रहती है, बल्कि हमारी आत्मा भी एक सकारात्मक ऊर्जावान स्थिति में रहती है।

ईश्वर का नाम जप करने से मन की उथल-पुथल और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं, इस जाप से आत्मविश्वास भी बढ़ता है, क्योंकि व्यक्ति को यह एहसास होता है कि वह अकेला नहीं है, ईश्वर हमेशा उसके साथ हैं। इस प्रकार, कोई भी कार्य करने में डर या घबराहट का सामना नहीं होता, क्योंकि हमें विश्वास रहता है कि ईश्वर की कृपा हमारे साथ है।

मंत्रों के जप में शुद्धता और मानसिक स्थिति का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। जब हम चलते-फिरते मंत्र जप करते हैं, तो मन को विकारों से मुक्त रखना और ध्यान केंद्रित करना एक चुनौती हो सकता है, लेकिन यह अभ्यास धीरे-धीरे मानसिक शांति और आंतरिक स्फूर्ति को बढ़ाता है।

कुछ मंत्रों में वाईब्रेशनल साउंड होता है जो हमें ऊर्जा प्रदान करता है और ऐसे मंत्रों का जप करना किसी विशेष स्थान पर बैठकर ही अधिक प्रभावी होता है, क्योंकि जब हम इन्हें उच्चारण करते हैं, तो उनका प्रभाव हमारे शरीर और मन पर गहरा पड़ता है। इन मंत्रों का जप करते समय पूरी शांति और ध्यान की अवस्था में होना जरूरी होता है, ताकि उनका सही रूप से लाभ मिल सके।

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