Premanand Maharaj : सावधान ! घर के मंदिर में रखी ये चीजें बन सकती हैं कंगाली का कारण, जानें प्रेमानंद महाराज की चेतावनी

Edited By Updated: 27 Dec, 2025 01:12 PM

premanand maharaj

वृंदावन के परम पावन संत श्री प्रेमानंद महाराज अक्सर अपने सत्संगों में कहते हैं कि घर का मंदिर केवल सजावट का स्थान नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वरीय ऊर्जा का भंडार होता है।

Premanand Maharaj Life Lessons : वृंदावन के परम पावन संत श्री प्रेमानंद महाराज अक्सर अपने सत्संगों में कहते हैं कि घर का मंदिर केवल सजावट का स्थान नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वरीय ऊर्जा का भंडार होता है। हम अपने घर के मंदिर को श्रद्धा के साथ सजाते तो हैं, लेकिन जाने-अनजाने में कुछ ऐसी चीजें वहां रख देते हैं जो हमारी भक्ति के मार्ग में बाधा और जीवन में दरिद्रता का कारण बन जाती हैं। महाराज जी के अनुसार, मंदिर की पवित्रता और वहां रखी वस्तुओं का सीधा प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक उन्नति पर पड़ता है। कई बार हम श्रद्धा के वश में होकर खंडित मूर्तियां या पितरों की तस्वीरें भगवान के साथ रख देते हैं, जिसे प्रेमानंद जी आध्यात्मिक दृष्टि से अनुचित मानते हैं। उनके मुताबिक, यदि घर में बरकत नहीं हो रही या मानसिक अशांति बनी रहती है, तो हमें अपने मंदिर का निरीक्षण जरूर करना चाहिए।

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खंडित मूर्तियां या तस्वीरें
महाराज जी अक्सर कहते हैं कि भक्ति भाव और श्रद्धा का खेल है। यदि मंदिर में कोई मूर्ति टूट गई है, कांच चटक गया है या तस्वीर फट गई है, तो उसे तुरंत वहां से हटा देना चाहिए। खंडित मूर्तियों की पूजा करने से घर में वास्तु दोष बढ़ता है और परिवार की उन्नति में बाधा आती है। ऐसी मूर्तियों को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।

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एक ही भगवान की कई मूर्तियां
कई लोग श्रद्धावश मंदिर में एक ही देवी-देवता की कई मूर्तियां रख लेते हैं। वास्तु और महाराज जी के विचारों के अनुसार, घर के मंदिर में एक ही भगवान की दो या तीन से अधिक मूर्तियां नहीं होनी चाहिए। विशेषकर गणेश जी और मां लक्ष्मी की बहुत सारी मूर्तियां रखना आर्थिक तंगी का कारण बन सकता है।

पूर्वजों या पितरों की तस्वीरें
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, मंदिर केवल ईश्वरीय सत्ता के लिए है। कई लोग अपने पूर्वजों की तस्वीरें भगवान के साथ ही रख देते हैं, जो कि आध्यात्मिक रूप से अनुचित है। पितर पूजनीय हैं, लेकिन उनका स्थान मंदिर से अलग होना चाहिए। भगवान और पितरों को एक साथ पूजने से घर में कलह और धन की कमी हो सकती है।

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रौद्र रूप वाली मूर्तियां
घर एक शांत स्थान है, इसलिए मंदिर में कभी भी देवी-देवताओं की 'रौद्र' या क्रोधित अवस्था वाली मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। महाराज जी के अनुसार, घर में हमेशा सौम्य, आशीर्वाद देती हुई और मुस्कुराती हुई प्रतिमाएं रखनी चाहिए ताकि घर का वातावरण सुखद बना रहे।

बासी फूल और पुरानी पूजन सामग्री
अक्सर लोग सुबह चढ़ाए गए फूल शाम तक या अगले दिन तक मंदिर में ही रहने देते हैं। सूखे और बासी फूल नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। इसी तरह, पुरानी धूपबत्ती की राख, फटी हुई धार्मिक पुस्तकें या खराब हो चुके दीपक मंदिर में नहीं रखने चाहिए। यह चीजें सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदल सकती हैं।

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