Edited By Sarita Thapa,Updated: 19 Nov, 2025 10:30 AM

परम पूज्य संत श्री प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में बार-बार इस प्रश्न का उत्तर देते हैं कि हमें यह दुर्लभ मनुष्य जीवन क्यों मिला है।
Premanand Maharaj Pravachan: परम पूज्य संत श्री प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में बार-बार इस प्रश्न का उत्तर देते हैं कि हमें यह दुर्लभ मनुष्य जीवन क्यों मिला है। उनके अनुसार, यह जीवन केवल खाना-पीना, कमाना और परिवार पालने जैसे भौतिक कार्यों के लिए नहीं है, बल्कि इसका एक गहन आध्यात्मिक उद्देश्य है, जिसे समझना ही जीवन की सबसे बड़ी सफलता है। महाराज जी ने मनुष्य जीवन मिलने के पीछे के गूढ़ रहस्य और इसके वास्तविक उद्देश्य को ही सरल शब्दों में समझाया है।
भगवत-प्राप्ति ही एकमात्र लक्ष्य
महाराज जी दृढ़ता से कहते हैं कि मनुष्य जीवन का एकमात्र और परम लक्ष्य भगवत-प्राप्ति या ईश्वर को जानना है। चौरासी लाख योनियों में से केवल मनुष्य योनि ही ऐसी है, जिसमें विवेक, बुद्धि और ज्ञान की शक्ति प्राप्त है। यह शक्तियां हमें भौतिक सुखों की लगाव से ऊपर उठकर परम सत्य को जानने का अवसर देती हैं।

प्रेम और सेवा का महत्व
प्रेमानंद महाराज जी भक्ति मार्ग पर ज़ोर देते हैं। उनके अनुसार, भगवान तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग निस्वार्थ प्रेम और सेवा है। जीवन का उद्देश्य अपने मन को सांसारिक चीज़ों से हटाकर केवल और केवल भगवान के चरणों में लगाना है। सभी जीवों को भगवान का अंश मानकर उनकी सेवा करना और सभी के प्रति दयाभाव रखना भी इस जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

क्षणिक सुखों से दूरी
महाराज जी बताते हैं कि हम भूलवश संसार की क्षणभंगुर चीज़ों में सुख खोजते रहते हैं। धन, पद और भौतिक रिश्ते एक दिन छूट जाते हैं। मनुष्य जीवन हमें यह जानने का मौका देता है कि स्थायी आनंद केवल ईश्वर के साथ जुड़ने में है। जब तक हम इस मोह को नहीं तोड़ेंगे, तब तक जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
संयम और नियम का पालन
जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए, महाराज जी संयम, सदाचार और गुरु-सेवा पर बल देते हैं। एक नियमित दिनचर्या जिसमें भगवान का नाम-जप, कथा-श्रवण और सेवा शामिल हो, वही हमें सही मार्ग पर ले जाती है और जीवन के उद्देश्य को सफल बनाती है।

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