Edited By Sarita Thapa,Updated: 26 Dec, 2025 10:26 AM

कड़ाके की ठंड हो या सुबह की गहरी नींद, अक्सर हमारा मन हमें रजाई के भीतर ही रहने के लिए मजबूर करता है। लेकिन वृंदावन के सुप्रसिद्ध संत पूज्य प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यह आलस कोई साधारण सुस्ती नहीं, बल्कि आपकी प्रगति और भक्ति के मार्ग का सबसे बड़ा...
Premanand Maharaj Teachings : कड़ाके की ठंड हो या सुबह की गहरी नींद, अक्सर हमारा मन हमें रजाई के भीतर ही रहने के लिए मजबूर करता है। लेकिन वृंदावन के सुप्रसिद्ध संत पूज्य प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यह आलस कोई साधारण सुस्ती नहीं, बल्कि आपकी प्रगति और भक्ति के मार्ग का सबसे बड़ा रोड़ा है। यदि आप भी सुबह उठने में संघर्ष करते हैं, तो महाराज जी की ये बातें आपकी सोच बदल देंगी।
रजाई का मोह या प्रभु का प्रेम?
महाराज जी अक्सर अपने सत्संग में कहते हैं कि सुबह का समय देवताओं का समय होता है। उस वक्त जो सोता रहता है, वह केवल अपनी नींद नहीं खो रहा, बल्कि ब्रह्मांड की दिव्य ऊर्जा को भी खो रहा है। महाराज जी का तर्क सरल है यदि आपको पता चले कि सुबह 4 बजे उठने पर आपको करोड़ों रुपये मिलेंगे, तो क्या आप सो पाएंगे?" नहीं! तो फिर आप उस ईश्वर की प्राप्ति के लिए क्यों सो रहे हैं जो पूरे ब्रह्मांड का स्वामी है।
झपकी आए तो क्या करें?
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि जब भजन या पढ़ाई के समय झपकी आए, तो तुरंत अपने स्थान से खड़े हो जाएं। रजाई को दुश्मन की तरह त्याग दें। थोड़ा टहलें, ठंडा पानी आंखों पर डालें और मन को आदेश दें कि तू मेरा गुलाम है, मैं तेरा नहीं।महाराज जी के अनुसार, शरीर को थोड़ा कष्ट दिए बिना इंद्रियों को वश में करना मुमकिन नहीं है।

आलस: भक्ति मार्ग का असुर
महाराज जी की शिक्षाओं के अनुसार, प्रमाद एक ऐसा राक्षस है जो धीरे-धीरे इंसान की संकल्प शक्ति को खत्म कर देता है। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी नींद पर काबू नहीं पा सकता, वह दुनिया में कोई बड़ा लक्ष्य कैसे हासिल करेगा? सुबह की नींद का त्याग ही आपके अनुशासन की पहली परीक्षा है।
जो सोवत है, वो खोवत है
सत्संग के दौरान महाराज जी अक्सर सचेत करते हैं कि यह जीवन बहुत छोटा है। हर बीतता हुआ पल आपकी आयु कम कर रहा है। ऐसे में रजाई के भीतर घंटों पड़े रहना समय की हत्या करने के समान है। वे युवाओं को प्रेरित करते हुए कहते हैं कि उठो, कमर कसो और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ो।
संकल्प की शक्ति जगाएं
प्रेमानंद जी बताते हैं कि सुबह उठने के लिए अलार्म से ज्यादा संकल्प की जरूरत होती है। रात को सोते समय ही मन को दृढ़ आदेश दें कि मुझे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने इष्ट का नाम लेना है या अपना कार्य करना है। जब संकल्प मजबूत होता है, तो रजाई अपने आप बोझ लगने लगती है।

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