Religious Katha: नाम-दान लेकर भी नहीं करते भजन-सिमरन तो अवश्य पढ़ें ये कथा

Edited By Updated: 08 Apr, 2025 07:12 AM

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Religious Katha: एक बार की बात है, एक भक्त के दिल में आया कि गुरु महाराज जी को रात में देखना चाहिए कि क्या वह भी भजन-सिमरन करते हैं। तो वह रात को गुरु महाराज जी के कमरे की खिड़की के पास खड़ा हो गया। गुरु महाराज जी रात साढ़े 9 बजे तक भोजन और बाकी काम...

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Religious Katha: एक बार की बात है, एक भक्त के दिल में आया कि गुरु महाराज जी को रात में देखना चाहिए कि क्या वह भी भजन-सिमरन करते हैं। तो वह रात को गुरु महाराज जी के कमरे की खिड़की के पास खड़ा हो गया। गुरु महाराज जी रात साढ़े 9 बजे तक भोजन और बाकी काम करके अपने कमरे में आ गए। 

वह भक्त देखता है कि गुरु महाराज जी एक पैर पर खड़े होकर भजन-सिमरन करने लगे। वह कितनी देर तक देखता रहा और फिर थक कर खिड़की के बाहर ही सो गया। 

3 घंटे बाद जब आंख खुली तो वह देखता है कि गुरु महाराज जी अभी भी एक पैर पर खड़े भजन-सिमरन कर रहे हैं। फिर थोड़ी देर बाद गुरु महाराज जी भजन-सिमरन से उठ कर थोड़ी देर कमरे में ही इधर-उधर घूमे और फिर दोनों पैरों पर खड़े होकर भजन-सिमरन करने लगे। वह भक्त देखता रहा और देखते-देखते उसकी आंख लग गई और वह सो गया। 

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जब फिर उसकी आंख खुली तो 4 घंटे बीत चुके थे और अब गुरु महाराज जी बैठ कर भजन-सिमरन कर रहे थे। थोड़ी देर में सुबह हो गई और गुरु महाराज जी उठ कर तैयार हुए और सुबह की सैर पर चले गए।

वह भक्त भी गुरु महाराज जी के पीछे ही चल पड़ा और रास्ते में गुरु महाराज जी को रोक कर हाथ जोड़ कर बोलता है ,‘‘गुरु महाराज जी मैं सारी रात आपको खिड़की से देख रहा था कि आप रात में कितना भजन-सिमरन करते हो।’’

गुरु महाराज जी हंस पड़े और बोले, ‘‘बेटा, देख लिया तुमने फिर ?’’

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वह भक्त शर्मिंदा हुआ और बोला, ‘‘देख लिया पर मुझे एक बात समझ नहीं आई कि आप पहले एक पैर पर खड़े होकर भजन-सिमरन करते रहे, फिर दोनों पैरों पर और आखिर में बैठ कर जैसे कि भजन-सिमरन करने को आप बोलते हो, ऐसा क्यों ?’’

गुरु महाराज जी बोले, ‘‘बेटा एक पैर पर खड़े होकर मुझे उन सत्संगियों के लिए खुद भजन-सिमरन करना पड़ता है जिन्होंने नाम-दान लिया है मगर बिल्कुल भी भजन-सिमरन नहीं करते, दोनों पैरों पर खड़े होकर मैं उन सत्संगियों के लिए भजन-सिमरन करता हूं जो भजन-सिमरन में तो बैठते हैं मगर पूरा समय नहीं देते।’’ 

‘‘बेटा जिनको नाम-दान मिला है, उनका जवाब सतपुरख को मुझे देना पड़ता है, क्योंकि मैंने उनकी जिम्मेदारी ली है नाम दान देकर। आखिर में मैं बैठ कर कर भजन-सिमरन करता हूं, वह मैं खुद के लिए करता हूं क्योंकि मेरे गुरु ने मुझे नाम दान दिया था और मैं नहीं चाहता कि उनको मेरी जवाबदारी देनी पड़े।’’ 

वह भक्त ये सब सुनकर एक दम सुन्न खड़ रह गया। 

तो मित्रो अगर हम लोगों को नाम-दान मिला है तो पूरा समय देना चाहिए क्योंकि हमारे कर्मों का लेखा-जोखा हमारे गुरु नाम-दान देते समय अपने पास ले लेते हैं और उनको हम पर विश्वास होता है कि हम भजन-सिमरन को समय देंगे इसलिए हमें उनके विश्वास पर पूरा खरा उतरना चाहिए क्योंकि जवाबदारी हमारे सतगुरु को देनी पड़ती है इसीलिए हमें भजन-सिमरन रोज करना चाहिए, पूरा-पूरा वक्त।

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