Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Dec, 2022 11:19 AM
एक संत गांव-गांव घूमकर लोगों को प्रवचन दिया करते थे और जीवनयापन के लिए घर-घर जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन एक महिला ने संत के लिए भोजन बनाया। जब संत उसके घर आए तो भोजन देते हुए उसने पूछा-महाराज जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिलता है ?
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Inspirational Context: एक संत गांव-गांव घूमकर लोगों को प्रवचन दिया करते थे और जीवनयापन के लिए घर-घर जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन एक महिला ने संत के लिए भोजन बनाया। जब संत उसके घर आए तो भोजन देते हुए उसने पूछा-महाराज जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिलता है ?
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इस पर संत ने कहा कि इसका जवाब मैं कल दूंगा। अगले दिन महिला ने संत के लिए स्वादिष्ट खीर बनाई। वह संत से सुख और आनंद के बारे में सुनना चाहती थी।
संत आए और उन्होंने भिक्षा के लिए महिला को आवाज लगाई। महिला खीर लेकर बाहर आई। संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे बढ़ा दिया। महिला खीर डालने ही वाली थी कि तभी उसकी नजर कमंडल के अंदर गंदगी पर पड़ी। उसने बोला कि आपका कमंडल तो गंदा है।
संत ने कहा-हां, यह थोड़ा गंदा तो है, लेकिन आप खीर इसी में डाल दो। महिला ने कहा-नहीं महाराज, ऐसे तो खीर खराब हो जाएगी। आप कमंडल दीजिए, मैं इसे धोकर साफ कर देती हूं। संत ने पूछा कि मतलब जब कमंडल साफ होगा, तभी आप इसमें खीर देंगी? महिला ने कहा-जी, इसे साफ करने के बाद ही मैं इसमें खीर दूंगी।
संत ने कहा कि ठीक इसी तरह जब तक हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे विकार हैं, उसमें उपदेश कैसे डाल सकते हैं। महिला को उसका उत्तर मिल चुका था। वह समझ चुकी थी कि मन का निर्मल होना ही आनंद है, जीवन का सच्चा सुख है।