Sawan 2025: हर सावन में भोलेनाथ छोड़ते हैं कैलाश, जानिए क्यों और कहां जाते हैं !

Edited By Updated: 09 Jul, 2025 11:51 AM

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Sawan 2025: सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह माह 11 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है और इसे श्रावण मास भी कहा जाता है। यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, जिसमें शिवभक्त विभिन्न प्रकार के व्रत, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक...

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Sawan 2025: सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह माह 11 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है और इसे श्रावण मास भी कहा जाता है। यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, जिसमें शिवभक्त विभिन्न प्रकार के व्रत, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस दौरान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा की अभिव्यक्ति होती है क्योंकि माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने का सबसे शुभ और उत्तम समय है। सावन महीने की शुरुआत में ही कांवड़ यात्रा भी होती है, जो शिवभक्तों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा होती है। यह यात्रा भी इस महीने के महत्व को और बढ़ाती है क्योंकि कांवड़ यात्री गंगा से पवित्र जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करते हैं। इस महीने को पवित्र माना जाता है और धार्मिक दृष्टिकोण से इसकी अहमियत अत्यधिक बढ़ जाती है। सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव का प्रिय समय माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव कैलाश पर्वत छोड़कर धरती पर वास करते हैं और यहां से सृष्टि का संचालन करते हैं। कैलाश पर्वत पर उनका स्थायी निवास स्थान है लेकिन सावन के महीने में वह अपनी उपस्थिति पृथ्वी पर महसूस कराते हैं और अपने भक्तों की पूजा को स्वीकार करते हैं।

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कहां है भगवान शिव का ससुराल 
 भगवान शिव का ससुराल कोई और जगह नहीं, बल्कि उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित कनखल है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है और शिवभक्तों के लिए एक खास महत्व रखता है। कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर भी इसी वजह से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव और माता सती का विवाह संपन्न हुआ था। यही कारण है कि इस स्थान को भगवान शिव का ससुराल कहा जाता है। सावन के महीने में जब भगवान शिव धरती पर आते हैं, तो वे यहीं आकर निवास करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय शिव अपने ससुराल में समय बिताते हैं और वहीं से पूरे ब्रह्मांड के कार्यों का संचालन करते हैं। दक्षेश्वर महादेव मंदिर और कनखल की यह पौराणिक कथा आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है, और सावन में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

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सावन में कनखल का विशेष महत्व
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव के लिए बेहद खास होता है। ऐसा माना जाता है कि इस पावन माह में शिव शंकर अपने ससुराल कनखल में विराजते हैं। इसी वजह से सावन में कनखल की महिमा और भी बढ़ जाती है।

यह स्थान दक्षेश्वर महादेव मंदिर के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है और सावन के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। देश के कोने-कोने से शिव भक्त यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। भक्तों की मान्यता है कि इस मंदिर में भोलेनाथ की आराधना करने से उन्हें विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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