Smile please: क्या आप भी अपने बच्चों को ‘भूत आ जाएगा’ कह कर डराते हैं ?

Edited By Updated: 17 Nov, 2025 12:28 PM

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Smile please: एक मान्यता सदियों से बड़ी प्रचलित है कि ‘यदि अथक प्रयासों के बावजूद भी आपका कोई काम नहीं बनता, तो भय के इस्तेमाल से वह चुटकियों में शत् प्रतिशत बन ही जाएगा’। सचमुच ही भय नामक इस भूत का हम इंसानों से बड़ा गहरा नाता है, जो जन्मों-जन्म तक...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: एक मान्यता सदियों से बड़ी प्रचलित है कि ‘यदि अथक प्रयासों के बावजूद भी आपका कोई काम नहीं बनता, तो भय के इस्तेमाल से वह चुटकियों में शत् प्रतिशत बन ही जाएगा’। सचमुच ही भय नामक इस भूत का हम इंसानों से बड़ा गहरा नाता है, जो जन्मों-जन्म तक हमारा इससे पिंड नहीं छूटता। हम सब कुछ भूलकर उसके सामने बिल्कुल आत्मसमर्पण कर देते हैं।

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पिछले कुछ वर्षों में किए गए अनुसंधान के आधार पर डॉक्टरों का मानना है कि जिस व्यक्ति के अन्दर स्थायी रूप से भय ने अपना स्थान बना लिया है, वह जैसे जीते जी मर जाता है अर्थात मृत्यु से पहले ही वह अनगिनत बार मरता है।

इसका सबसे व्यावहारिक उदाहरण अमरीका में हुई 9/11 की चौंकाने वाली घटना में मरने वालों की संख्या है! उस घटना में कई लोगों ने भय के वश अपनी जानें गंवा दी थीं और इसी वजह से आज तक भी वहां अनगिनत ‘काऊंसलिंग क्लासेज’ चलती हैं, जहां पर लोगों को भय से मुक्त होने की अनेक प्रकार की विधियां सिखाई जाती हैं।

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अत: भय से पूर्ण छुटकारा पाने की जद्दोजहद करने से बेहतर है कि हम इससे मित्रता कर उसे अपने नियंत्रण में रखना सीख लें। बचपन में अक्सर जब बच्चे कोई बात नहीं मानते तो माता-पिता उन्हें ‘भूत आ जाएगा’ ऐसा कह कर डरा कर अपने काम बखूबी करवा लेते हैं, परन्तु वे यह भूल जाते हैं कि बालक के कोमल मन में वे स्वयं अपने हाथों से ‘भय का भयानक बीज’ बो रहे हैं, जो आगे चलकर उसके जीवन को बर्बाद और तहस-नहस कर देगा। तभी तो आज हर कोई, छोटा हो या बड़ा, कॉक्रोच, छिपकली और चूहे से डर जाता है।

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जिस देश का बालक शेर के दांत गिनकर अपनी मां को बताता था, उस देश की संतानों को भूतों से, बन्दरों से न डराओ- निर्भय और अभय बनाओ।

विद्वानों के अनुसार भय से पहले आशंका की उत्पत्ति होती है। इसका मूल कारण है आत्मविश्वास की कमी, जो हमें क्यों, क्या, कैसे की कतार में खड़ा कर देता है।

मनोचिकित्सकों के अनुसार कमजोर संकल्प स्वयं की योग्यताओं पर संदेह होने से उत्पन्न होते हैं। अत: हमें भीतर आत्मविश्वास जाग्रत करने के लिए आंतरिक सच्चाई और सफाई को धारण करना है और अपनी अंतरात्मा की निष्पक्ष और निष्कपट आवाज को सुनकर हर कार्य करना है। याद रखें ‘जिसके अन्दर निश्चय और दृढ़ मनोबल है, वह धूल को भी हीरे में बदल सकता है’।

भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो। यानी भय से भागो मत, इसका सामना करो। —चाणक्य

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