Edited By Prachi Sharma,Updated: 26 Nov, 2025 07:06 AM

Subrahmanya Shashthi 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी या चम्पा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और देवताओं की सेना के...
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Subrahmanya Shashthi 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी या चम्पा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और देवताओं की सेना के सेनापति माने जाते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों को बल, बुद्धि, ज्ञान, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
सुब्रह्मण्य षष्ठी 2025-
षष्ठी तिथि का आरंभ- 25 नवंबर 2025, मंगलवार को रात 10 बजकर 56 मिनट से
षष्ठी तिथि का समापन- 27 नवंबर 2025, गुरुवार को देर रात 12 बजकर 01 मिनट पर
सुब्रह्मण्य षष्ठी (मुख्य दिन)- 26 नवंबर 2025, बुधवार (उदया तिथि के अनुसार)
कार्तिकेय भगवान की पूजा विधि
जल्दी उठना और स्नान: पर्व के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। स्वयं भी पवित्र स्नान करके स्वच्छ वस्त्र, खासकर लाल या पीले रंग के वस्त्र, धारण करें। भगवान स्कंद का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इनके साथ भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा भी स्थापित करना शुभ होता है।
अभिषेक और पूजा
सबसे पहले भगवान कार्तिकेय की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोंछें। उन्हें नए वस्त्र, माला और मोर पंख अर्पित करें। इसके बाद चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं। भगवान को फल, सुपारी, और विशेष रूप से मोदक, खीर या मीठे चावल का भोग लगाएं। पूजन के दौरान भगवान कार्तिकेय के बीज मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करें।