Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Nov, 2025 10:51 AM

यह उन दिनों की बात है, जब स्वामी विवेकानंद अमरीका में थे। वहां कई महत्वपूर्ण जगहों पर उन्होंने व्याख्यान दिए। उनके व्याख्यानों का वहां जबरदस्त असर हुआ। लोग स्वामी जी को सुनने और उनसे धर्म के विषय में अधिक से अधिक जानने को उत्सुक हो उठे।
Swami Vivekananda Story: यह उन दिनों की बात है, जब स्वामी विवेकानंद अमरीका में थे। वहां कई महत्वपूर्ण जगहों पर उन्होंने व्याख्यान दिए। उनके व्याख्यानों का वहां जबरदस्त असर हुआ। लोग स्वामी जी को सुनने और उनसे धर्म के विषय में अधिक से अधिक जानने को उत्सुक हो उठे। एक अमरीकी प्रोफैसर भी उनके पास पहुंचे और कहा, ‘‘स्वामी जी, आप मुझे हिन्दू धर्म में दीक्षित करने की कृपा करें।’’
स्वामी जी बोले, ‘‘मैं यहां धर्म प्रचार के लिए आया हूं न कि धर्म परिवर्तन के लिए। मैं अमरीकी धर्म-प्रचारकों को यह संदेश देने आया हूं कि वे धर्म परिवर्तन के अभियान को बंद कर प्रत्येक धर्म के लोगों को बेहतर इंसान बनाने का प्रयास करें। यही धर्म की सार्थकता है और सभी धर्मों का मकसद। हिन्दू संस्कृति विश्व बंधुत्व का संदेश देती है, मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानती है।’’
प्रोफैसर बोले, ‘‘स्वामी जी, कृपया इस बारे में और विस्तार से कहिए।’’

स्वामी जी ने कहा कि इस पृथ्वी पर सबसे पहले मानव का आगमन हुआ था। उस समय कहीं कोई धर्म, जाति या भाषा न थी। मानव ने अपनी सुविधानुसार अपनी-अपनी भाषाओं, धर्म तथा जाति का निर्माण किया और मुख्य उद्देश्य से भटक गया। लोग आपस में विभाजित नजर आते हैं। इसलिए मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूं कि तुम अपने धर्म का पालन करते हुए अच्छे व्यक्ति बनो।
उन्होंने कहा कि हर धर्म का सार मानवता के गुणों को विकसित करने में है इसलिए तुम भारत के ऋषियों-मुनियों के संदेशों का लाभ उठाओ और उन्हें अपने जीवन में उतारो। प्रोफैसर मंत्रमुग्ध भाव से यह सब सुनते रहे। स्वामी जी के प्रति उनकी आस्था और बढ़ गई।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ