Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jul, 2025 02:00 PM
The new normal: प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत युद्ध के संदर्भ में ‘न्यू नॉर्मल’ शब्द का यूज किया है। न्यू नॉर्मल का अर्थ होता है, जो चीज अभी तक नहीं हुई थी वह अब हो रही हैं और वह अब सामान्य होती जा रही है और सब उसे एक्सेप्ट करते जाते...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
The new normal: प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत युद्ध के संदर्भ में ‘न्यू नॉर्मल’ शब्द का यूज किया है। न्यू नॉर्मल का अर्थ होता है, जो चीज अभी तक नहीं हुई थी वह अब हो रही हैं और वह अब सामान्य होती जा रही है और सब उसे एक्सेप्ट करते जाते हैं, उसे न्यू नॉर्मल कहा जाता है। ऑपरेशन सिंदूर लगातार चल रहा है यह स्थगित हुआ है रुका नहीं है, बंद नहीं हुआ है। न्यू नॉर्मल की विचारधारा के अनुसार, अब हम निरंतर युद्ध में होंगे।
अब जब भी कोई आतंकवादी घटना घटेगी तो भारत को लगातार युद्ध में रहना होगा। भारत, पाकिस्तान को और पाकिस्तान, भारत को जवाब देता रहेगा। इससे कभी भी कोई बड़ा युद्ध भड़क सकता है। यहां तक कि परमाणु युद्ध भी हो सकता है क्योंकि चीन हमेशा पाकिस्तान को सपोर्ट करता रहेगा। चीन उन्नत लड़ाकू विमान, हथियार, सायबर वार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में भारत से बहुत आगे है। तुर्किये और अजरबेजान ने भी पाकिस्तान का खुल कर साथ दिया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुए इस चार दिन के संघर्ष में हमें भी नुकसान का सामना करना पड़ा है। निश्चित ही हमारे जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान पर बहुत बढ़त हासित कर ली थी लेकिन भारत यदि निरंतर युद्ध की स्थिति में रहेगा तो हमें रक्षा बजट में बहुत अधिक वृद्धि करनी होगी। इससे हमारी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो जायेगी।
भारत को यह देखना हो कि क्या भारत के पास ऐसी कोई महाशक्ति है जो उसे सपोर्ट करें ? यदि हम निरंतर युद्ध में चले गये हैं, तो क्या इसे सपोर्ट करने वाले देश भारत के पास है? जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुए 4 दिवसीय संघर्ष में कोई भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ तो निरंतर युद्ध की स्थिति में कौन सा देश भारत को सपोर्ट करेगा, आज तो हमारे सभी पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, चीन, मालद्वीप हमारे दुश्मन बने हुए हैं।
‘न्यू नॉर्मल’ का विचार भारत ने शायद इजराइल से आयातित किया हो, या हो सकता है भारत को यह विचार रशिया और युक्रेन के युद्ध को देखकर आया हो। इजराइल के वास्तु के कारण अमेरिका उसके साथ हमेशा खड़ा होता है, अमेरिका भारी मात्रा सैन्य सहायता के रूप में उन्नत हथियार, लड़ाकू विमान के साथ देता है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय दबाव से अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके इजराइल को हमेशा बचाता है। यूरोप के तमाम बड़े मुल्क ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस इत्यादि भी इजराइल के साथ खड़े होते हैं। रशिया तो अपने आप में ही एक महाशक्ति है। इजराइल और रशिया का वास्तु बहुत अच्छा है, इसके विपरीत गाजा पट्टी और युक्रेन का वास्तु बहुत खराब है। इस कारण भी इजराइल गाजा पट्टी पर और रशिया युक्रेन पर भारी पड़ रहा है।
भारत के वास्तु दोषों के कारण 1947 में हुए भारत-पाक बंटवारे में दोनों तरफ के लाखों लोग मारे गए और बर्बाद हुए। 1947-48 में हुए युद्ध भारत-पाक युद्ध में पाक अधिकृत कश्मीर और कश्मीर का निपटारा अभी तक नहीं हुआ है। इस युद्ध में भारत को उम्मीद थी कि शायद हम पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर लेंगे, लेकिन वास्तु के कारण यह संभव नहीं हो पाया। भारत और पाक के बीच जितने भी युद्ध हुए दोनों देशों ने एक-दूसरे की जमीन पर कब्जा नहीं किया। सैनिक युद्ध करके वापस अपनी सीमा के अंदर आ गये। युद्ध, संघर्ष और झड़पों में केवल दोनों देशों में जान और माल की हानि हुई है और अस्थायी समाधान आपसी वार्तालाप में ही निकला है।
भारत और पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति के कारण हमेशा से झड़पें होती आ रही हैं और भविष्य में भी होती ही रहेंगी। निश्चित ही भारत की भौगोलिक स्थिति पाकिस्तान से थोड़ी अच्छी है क्योंकि इसके पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ी के कारण नीचाई है जबकि पाकिस्तान का पूर्वी भाग भी ऊंचा है। भारत और पाकिस्तान दोनों के वास्तु को देखते हुए भारत को न्यू नॉर्मल की विचारधारा को नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि जिन देशों को देखकर भारत यह विचारधारा अपनाना चाहता है। उन देशों की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि वह ताकतवर शक्ति के रूप में उभरते हैं लेकिन भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है।
जब हम पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति का वास्तु सिद्धांतों के अनुसार अध्ययन करते हैं तो हम पाते हैं कि जो राष्ट्र प्रभुता सम्पन्न है, शक्तिशाली एवं समृद्ध है, जिनकी ताकत का लोहा विश्व के अन्य देश मानते हैं उन देशों के दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊंचाई है और उत्तर-पूर्व दिशा में निचाई है। इसके विपरीत जिन देशों में उत्तर-पूर्व दिशा में ऊंचाई और दक्षिण-पश्चिम दिशा में निचाई है वह देश कमजोर है और कम विकसित होने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की समस्याओं से सदियों से जूझ रहे हैं।
इजराइल और गाजा पट्टी की भौगोलिक स्थिति
आइये, इजराइल और हमास की भौगोलिक स्थिति से जानते हैं के इन दोनों के बीच संघर्ष में वास्तु की क्या भूमिका है-
इजरायल की भौगोलिक स्थिति- इजराइल के दक्षिण में रेगिस्तान है, उत्तर में नीचा है जहां जल के स्रोत है। पूर्व में अत्यन्त गहरा मृत सागर (Dead Sea) है फिर क्या कहना ? इसी भौगोलिक स्थिति से इस को विश्वभर में प्रचण्ड एवं ताकतवर देश के रूप में यश मिल रहा है। दूसरी ओर उत्तर दिशा में माउंट मेरोन है। इस कारण उत्तर दिशा ऊंची है। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी में अपयश का सामना करना पड़ता है।
इसका ईशान कोण बढ़ा हुआ है जो कि वास्तु दृष्टि से शुभ होकर समृद्धि दिलाने में सहायक हो रहा है। दक्षिण दिशा Negev Desert है। गाजा पट्टी के बाद दक्षिण दिशा में त्रिकोण का आकार है। वास्तु सिद्धान्त के अनुसार त्रिकोण आकार के प्लॉट पर बने मकान में रहने वालों को शत्रुओं से कष्ट होता है। व्यवसाय हो तो प्रतिद्वन्द्वी से समस्याएं होती हैं। इसी आकार के कारण इजराइल को भी फिलीस्तीन से समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
गाजा पट्टी की भौगोलिक स्थिति- गाजा पट्टी का आकार उत्तर में 10 किमी. तथा दक्षिण में 13 किमी. है, यह बढ़ाव पूर्व आग्नेय के 3 किमी. बढ़ने के कारण आ रहा है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूर्व आग्नेय बढ़ने के कारण ही दो देशों में संघर्ष की स्थिति बनती है। इसी के साथ गाजा पट्टी में दक्षिण के साथ दक्षिण आग्नेय में भी बढ़ाव है। इस कारण भी संघर्ष, मानसिक व्यथा और धन नष्ट होता है।
गाजा पट्टी की लम्बाई 41 किमी. है। जिसमें हल्की सी गोलाई है, एक तरफ मध्य पश्चिम के साथ मिलकर नैऋत्य की ओर बढ़ाव है, वास्तुशास्त्र के अनुसार, पश्चिम के साथ मिलकर नैऋत्य बढ़ता है तो इस कारण भारी धन नष्ट होता है। उस स्थान का शासक गलत संगत तथा गलत कामों में पैसा खर्च करता है तथा जिद्दी होता है। दूसरी तरफ पश्चिम के साथ मिलकर वायव्य बढ़ रहा है, इस कारण यह देश ताकतवर के क्रोध, अनेक चिंताओं, धन नष्ट, पुत्र नष्ट और गरीबी से पीड़ित है।
इज़राइल और हमास के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास जारी हैं लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है, प्रयास से हो सकता है। कुछ समय के लिए यह संघर्ष रुक जाये लेकिन दोनों देशों के वास्तुदोषों को देखते हुए लगता नहीं है इसका कोई स्थायी समाधान निकल पायेगा।
रशिया और युक्रेन की भौगोलिक स्थिति
रशिया की भौगोलिक स्थिति - इसका ईशान कोण बढ़ा हुआ है। पानी उत्तर दिशा की ओर और थोड़ा पूर्व दिशा की ओर बह रहा है।
पूर्व में Sea of Hotstock एवं उत्तर में आर्टिक सागर है। यह दोनों महासागर बहुत बड़े हैं। रशिया के दक्षिण में मंगोल और नैऋत्य कोण में कजानिस्तान की पहाड़ियां हैं। इस कारण यह ताकतवर एवं समृद्धशाली देश है। इसका आग्नेय कोण बढ़ा हुआ है। इस कारण इसे विवादों के कारण लड़ना पड़ता है।
रशिया के ईशान कोण एवं पूर्व में ऊंचाई के कारण ही यहां विभाजन हुआ। इस दोष के कारण आगे भी विभाजन होंगे। विभाजन के पूर्व इसके नैऋत्य कोण में ब्लैक सी और कस्पियन सागर था साथ ही नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ था। इसी कारण यहां की जनता को जार और उसके बाद समाजवादी शासन को अनगिनत कष्ट झेलने पड़े। द्वितीय विश्वयुद्ध में यहां के लोग बहुत परेशान हुए। इस प्रकार देखा जाए तो नैऋत्य कोण में जो देश अलग हुए हैं, उससे रूस की स्थिति सुधरी है और ताकत बढ़ी है क्योंकि दक्षिण के साथ मिलकर नैऋत्य कोण का बढ़ाव लगभग खत्म-सा हो गया है।
युक्रेन
युक्रेन की जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा है उसके पूर्व दिशा स्थित रूस का भाग इस प्रकार आगे बढ़ा हुआ है जिससे युक्रेन का ईशान कोण वाला भाग घट गया है, यह एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष है, जिसके कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब रहती है। इसलिए युक्रेन में यह स्थिति सदियों से बनती रही है।
युक्रेन की दक्षिण दिशा में काला सागर और आग्नेय कोण में अजोव सागर है। इसी कारण युक्रेन की जमीन का ढलान एक ओर तो दक्षिण दिशा की ओर है, वहीं दूसरी ओर आग्नेय कोण में स्थित अजोव सागर की ओर है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जहां दक्षिण दिशा में नीचाई और भारी मात्रा में पानी का जमाव हो, वहां महिलाओं के साथ अन्याय और अत्याचार होते हैं, साथ ही स्त्रियों को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक कष्ट होते हैं। साथ ही आग्नेय कोण में नीचाई और भारी मात्रा में पानी का जमाव होने पर देश को शत्रु भय होगा, विवाद और युद्ध के कारण बनते हैं, साथ ही संतान (आबादी) नष्ट होती है। जिस किसी भी देश की यह भौगोलिक स्थिति होती है, वहां युद्ध होते रहते हैं।
युक्रेन की जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा है उसके पूर्व दिशा स्थित रूस का भाग इस प्रकार आगे बढ़ा हुआ है जिससे युक्रेन का ईशान कोण वाला भाग घट गया है, यह एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष है, जिसके कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब रहती है। इसलिए युक्रेन में यह स्थिति सदियों से बनती रही है।
युक्रेन की दक्षिण दिशा में काला सागर और आग्नेय कोण में अजोव सागर है। इसी कारण युक्रेन की जमीन का ढलान एक ओर तो दक्षिण दिशा की ओर है, वहीं दूसरी ओर आग्नेय कोण में स्थित अजोव सागर की ओर है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जहां दक्षिण दिशा में नीचाई और भारी मात्रा में पानी का जमाव हो, वहां महिलाओं के साथ अन्याय और अत्याचार होते हैं, साथ ही स्त्रियों को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक कष्ट होते हैं। साथ ही आग्नेय कोण में नीचाई और भारी मात्रा में पानी का जमाव होने पर देश को शत्रु भय होगा, विवाद और युद्ध के कारण बनते हैं, साथ ही संतान (आबादी) नष्ट होती है। जिस किसी भी देश की यह भौगोलिक स्थिति होती है, वहां युद्ध होते रहते हैं।
भारत
जब हम भारत के इतिहास पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि, इसमें साम्राज्यों का उत्थान एवं पतन हुआ है। आतताइयों के कई आक्रमण हुए हैं। आजादी के बाद पाकिस्तान और चीन से युद्धों का सामना करना पड़ा और वर्तमान में आतंकवाद, नक्सलवाद से जूझना पड़ रहा है। इन सब घटनाओं का कारण है भारत की भौगोलिक स्थिति का वास्तु। हमारे देश की भौगोलिक स्थिति में एक शुभ लक्षण यह है कि वह पूर्व की ओर झुका हुआ है। इसलिए देश संसार के सभी देशों पर अपने धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और दार्शनिक प्रभाव डालता रहा है और आज भी डाल रहा है।
भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत की ऊंचाई है। उत्तर से निकलने वाली नदियों का पानी पूर्व दिशा की ओर बहते हुए बंगलादेश से होता हुआ बंगाल की खाड़ी में गिर रहा है, साथ ही भारत की उत्तर दिशा नेपाल और भूटान के कारण कटी हुई है। इस कारण इतनी आबादी होने के बाद भी देश को और उसकी प्रतिभाओं को विभिन्न क्षेत्रों में जितना यश, सम्मान और प्रसिद्धि मिलना चाहिए, उसमें कमी रहती है। इसी कारण अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में उचित स्थान नहीं मिल पाता है, क्योंकि उत्तर दिशा के दोष के कारण ही यश में कमी आती है।
भारत की उत्तर दिशा एवं ईशान कोण (जहां अरुणाचल प्रदेश वाला भाग ऊंचाई लिए हुए है) के साथ ही पूर्व दिशा में ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं। जहां इम्फाल, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय स्थित है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हमारे देश में गरीबी है और हमारे देशवासियों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही ऊंचाई देश के विभाजन का कारण बनी।
भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी है, दक्षिण में हिंद महासागर है और पश्चिम में अरेबियन सागर है। इसके आग्नेय और नैऋत्य कोण में भी जल ही जल है इसीलिए भारत पर अनेक विदेशियों ने आक्रमण किए। हमारी जमीन पर अधिकार जताए दुःख की बात है कि यह स्थिति अभी भी बनी हुई है और आगे भी बनी रहेगी।
भारत की उत्तर दिशा को छोड़कर तीनों दिशाओं में निचाई है। जहां नदियों का पानी समुद्र में मिलता है। उत्तर से आने वाली नदियों का पानी पूर्व दिशा से बहकर बंगलादेश होता हुआ बंगाल की खाड़ी में गिरता है। जो भारत की आर्थिक स्थिति को संभालने में सहायक हो रही है तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर एवं पंजाब से निकलने वाली नदियों का पानी पश्चिम वायव्य होता हुआ पाकिस्तान तक चला जाता है। इस कारण हमारे शत्रुओं की संख्या ज्यादा है। इसी कारण देश के शासकों को मानसिक व्यथा बनी रहती है। देश की कुछ नदियों का पानी नैऋत्य कोण की ओर भी बहता है अर्थात देश का नैऋत्य कोण भी नीचा है। इस कारण धन नष्ट होता है। देशवासियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्ट अधिक होते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान कोण ऊंचा और नैऋत्य नीचा हो तो निर्धनता रहती है। आग्नेय कोण में निचाई हो तो शत्रुओं से कष्ट होता है और युद्ध होते हैं।
पाकिस्तान
पाकिस्तान की उत्तर पश्चिम दिशा में अफगानिस्तान, पूर्व दिशा में भारत और पश्चिम नैऋत्य में ईरान की सीमाएं लगी हुई हैं। दक्षिण दिशा वाले भाग में समुद्र है। पाकिस्तान का ईशान कोण भारत के जम्मू-कश्मीर के कारण कटा हुआ है और अफगानिस्तान की सीमा के कारण उत्तर दिशा एवं उत्तर वायव्य कोण कटा हुआ है। ईशान कोण कटने के कारण ही इसके शासकों को असामयिक मृत्यु का सामना करना पड़ा और आगे भी करना पड़ेगा।
पाकिस्तान का सिंध वाला भाग जो पाकिस्तान का पूर्व आग्नेय है भारत के राजस्थान गुजरात के मध्य में स्थित होकर बढ़ रहा है। इस कारण आपसी झगड़े विवाद बने रहेंगे। गृहयुद्ध की स्थिति बनती रहेगी। इसी कारण पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध किए। ईशान कोण के कटे होने के कारण युद्ध में हानि का सामना करना पड़ा।
पश्चिम दिशा में नैऋत्य कोण, जहां बलूचिस्तान है, बढ़ गया है। इस कारण शत्रु से मिलने वाले कष्टों और धन नाश से पीड़ित होना पड़ता है।
पाकिस्तान में ईशान कोण की तरफ हिन्दू कुश पर्वत नार्थ वेस्ट फ्रंट्रियर की पहाड़ियों की ऊंचाईयां सबसे ज्यादा है और पूरे पाकिस्तान की भूमि का झुकाव दक्षिण दिशा की ओर है।
पाकिस्तान की इन्हीं भौगोलिक स्थितियों के कारण इसका विभाजन हुआ, जिससे बांग्लादेश बना और यही भौगोलिक स्थिति आगे भी विभाजन कराती रहेगी, यह तय है।
पाकिस्तान की उत्तर दिशा में इस्लामाबाद, पेशावर एवं वायव्य कोण में क्वेटा ज्यादा ऊंचाई पर है और नैऋत्य कोण बलूचिस्तान उसकी तुलना में निचाई लिए हुए है।
पूर्व में लाहौर से जमीन नीची होती हुई फैसलाबाद, मुल्तान में और नीची हुई। मध्यपूर्व स्थित रहीम यार खान से नीची होती हुई हैदराबाद होते हुए कराची तक नीचे चली गई है। इसी के साथ थार परकार पूर्व आग्नेय कोण बढ़ाव लिए हुए है। यहां भारत और अफगानिस्तान से आने वाली नदियां का पानी पूर्व आग्नेय होकर दक्षिण आग्नेय की ओर बहता हुआ समुद्र में मिल रहा है।
दक्षिण आग्नेय स्थित कराची और इसके बीच भारत की सीमा वाला भाग ज्यादा निचाई लिए हुए है। जहां पर नदियों का पानी भी गिर रहा है। इसी कारण यहां आर्थिक स्थिति खराब है, विवाद है, लड़ाईयां हैं। पाकिस्तान की दक्षिण दिशा और दक्षिण नैऋत्य में समुद्र है। पश्चिम नैऋत्य में ईरान और पश्चिम वायव्य में अफगानिस्तान है। यह पूरा भाग ऊंचाई लिए हुए है।
इसी भौगोलिक स्थिति के कारण पाकिस्तान का विकास नहीं हो पा रहा है। देश में अराजकता फैली हुई है। इसी कारण पाकिस्तान के कई विभाजन होने के आसार हैं। पाकिस्तान में भारत की तुलना में ज्यादा गरीबी है। विकास बिल्कुल नहीं हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और संस्थाओं में उचित स्थान नहीं है। हमेशा युद्ध के हालात बने रहते हैं और इसी वास्तु स्थिति के कारण इनमें कभी-भी सुधार होने की स्थिति नहीं है।
निष्कर्ष - निश्चित ही भारत सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ ऑल-पार्टी डेलिगेशन भेजने की योजना एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति और एकजुटता को बढ़ावा देना था। वास्तु को देखते हुए भारत के लिए न्यू नॉर्मल के बजाय यही तरीका ही ज्यादा सही है। यूं भी भारत की छवि अभी तक शांतिप्रिय देश की रही है। भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है। मानवाधिकारों का पालन करता है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ मिल कर चलता है। न्यू नॉर्मल के बजाय अपने पड़ोसी देशों के साथ शांति वार्ताएं करना भारत के लिए ज्यादा सही होगा।
वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com