Edited By Jagdeep Singh,Updated: 22 Nov, 2022 06:15 PM
प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देश में विभिन्न जगहों पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का विवाह जनकपुरी पुत्री माता सीता के साथ संपन्न हुआ था। इसी के...
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प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देश में विभिन्न जगहों पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का विवाह जनकपुरी पुत्री माता सीता के साथ संपन्न हुआ था। इसी के उपलक्ष्य में लोग इस दिन श्री राम व माता सीता के विवाह न केवल उत्सव करवाते हैं बल्कि विधि वत रूप से इनकी पूजा अर्चना करते है। बता दें इस बार श्री राम व माता सीता को समर्पित ये पर्व 28 नवंबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा। अपनी वेबसाईट के माध्यम से हमने आपको इसके बारे में पहले जानकारी दे चुके हैं जिसमें हमने आपको बताया कि इस दिन का इतना खास महत्व होने पर भी आखिर क्यों इस दिन विवाह संपन्न क्यों नहीं करवाए जाते हैं, जिसे जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
इसे संदर्भ में अब हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं विवाह पंचमी के शुभ मुहूर्त व पूजन विधि के बारे में-
हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि का आरंभ 27 नवंबर को शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर होगा।. ऐसे में विवाह पंचमी 28 नवंबर, दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
वहीं आपको ये भी बता दें कि इस बार विवाह पंचमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10 बजकर 29 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ इस दिन रवि योग भी सुबह 10 बजकर 29 मिनट से अगले दिन सुबह 06:55 मिनट तक रहेगा.. और इस दिन का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
विवाह पंचमी विधि-
इस दिन प्रातःकाल सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद श्री राम का ध्यान पूरे मन से करें।
फिर विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें। एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और आसन बिछाएं।
अब चौकी पर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
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भगवान राम को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद दीपक जलाकर दोनों का तिलक करें, फल-फूल नैवेद्य अर्पित कर विधि-विधान के साथ पूजा करें।
पूजा करते हुए बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें।
फिर आखिर में माता सीता और भगवान राम का गठबंधन करके उनकी आरती करें।
बता दें कि इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से जीवन और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
विवाह पंचमी का महत्व-
ऐसी मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन माता सीता और श्री राम की विधि-विधान से पूजा करने से विवाह में आने वाली सारी बाधाएं दूर होती हैं। कुंवारी कन्या यदि पूरे मन से इस दिन सीता-राम की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दिन अनुष्ठान कराने से विवाहित लोगों का दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।